पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/३००

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काम का दिन २९७ . . . . लेकर ५ शिलिंग तक फ्री हप्ता मिलता है ... लड़कों को इस तरह का काम करना होता है, जिसके लिये उनकी ताकत माम तौर पर (महब "generally", हमेशा नहीं) काफी होती है, और इसलिये लड़कों की जगह पर जब मयों को नौकर रखा जायेगा, तो उनकी त्याना ताकत से हमारा कोई फायदा न होगा, जिससे बढ़े हुए बर्षे का नुकसान पूरा हो सके या यदि कुछ फायदा होगा, तो केवल उन चन्द जगहों पर, जहां पातु बहुत भारी होती है। मों को यह पसन्द नहीं पायेगा कि उनके मातहत लड़के काम नहीं करते, क्योंकि लड़कों की जगह पर नो मर्द नौकर रखे जायेंगे, उतने प्रामाकारी नहीं होंगे। इसके अलावा, लड़कों को बचपन में ही बंधा सीलना शुरू कर देना चाहिये। यदि उनको सिर्फ दिन में ही काम करने की इजाजत दी जायेगी, तो उससे यह उद्देश्य पूरा नहीं होगा।" क्यों नहीं पूरा होगा? लड़के दिन में काम करके धंधा क्यों नहीं सीख सकते? वजह सुनिये : “मर्द चूंकि बारी-बारी से एक सप्ताह दिन में काम करेंगे और एक सप्ताह रात में, इसलिये भाषे समय उनको अपने मातहत काम करने वाले लड़कों से अलग काम करना होगा, और लड़कों के जरिये दे जो नफा कमाते हैं, उसका पाषा उनके हाथ से निकल जायेगा। यह मानी-समझी बात है कि लड़के को मेहनत करते हैं, उसके एक भाग के एवज में ही मर्द उनको काम सिलाते हैं और इसलिये लड़के उनको अपेक्षाकृत सस्ती दर पर मिल जाते हैं। इस नशे का पाषा भाग हर पावनी के हाथ से बाता रहेगा।" दूसरे शब्दों में, मेसर्स सैमसन पावकल वयस्क मजदूरों की मजदूरी का एक हिस्सा लड़कों के रात के काम के रूप में निवटा देते हैं, प्रतिबंध लग जाने पर उनको यह हिस्सा अपनी बेब से देना होगा। इसलिये मेसर्स सैमसन का नका कुछ हद तक कम हो जायेगा। यही वह सैण्डर्सन-मार्का बोरपार कारण है, जिसके फलस्वरूप लड़के दिन में काम करके अपना पंधा नहीं सील पायेंगे। इसके अलावा, लड़कों की जगह पर तब वयस्क मजदूरों को रात में काम करना पड़ेगा, और वे रात का काम बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे। वस्तुतः कठिनाइयां इतनी अधिक हो जायेंगी कि अन्त में सम्भवतया रात का काम बिल्कुल बन्द कर देना पड़ेगा, और, मि०६. एक • संग्डर्सन के शब्दों में, "जहाँ तक खुद काम का सम्बंध है, इससे हमें कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन "माजिर मेसर्स संग्डर्सन का उद्देश्य केवल इस्पात बनाना हो तो नहीं है। पाखिर इस्पात बनाना अतिरिक्त मूल्य पैदा करने का महब एक बहाना ही तो है। पातु गलाने की भट्टियों और रोलिंग-मिलों प्रावि को, कारखाने के मकानों पर मशीनों को, लोहे और कोयले पावि को इस्पात में मान्तरित होने के अलावा भी कुछ करना है। उनको अतिरिक्त भम का अवशोषण करना है, और, जाहिर है, ये १२ घन्टे के मुकाबले में २४ घण्टे में ज्यादा अतिरिक्त भम का अवशोषण करते हैं। सच तो यह है कि भगवान की क्या से और कानून के प्रताप से ये तमाम चीजें मेसर्स सैन्डसन को मजदूरों की एक निश्चित संख्या के प्रम-काल को रोजाना चौबीस घण्टे इस्तेमाल करने का अधिकार दे देती है, और जैसे ही इन चीजों का श्रम का अवशोषण करने का कार्य बीच में सक जाता है, वैसे ही उनका पूंजी का स्वरूप नष्ट हो जाता है और उनसे मेसर्स - . यह चिन्तन और तर्क का युग है। इस युग में जो प्रादमी हर चीज का, वह पीप चाहे कितनी बराव और पागलपन से भरी क्यों न हो, कोई अच्छा कारण नहीं बता सकता उस प्रादमी की कीमत ज्यादा नहीं समझी जाती। दुनिया में पान तक जो भी गलत काम किया गया है, वह हमेशा सर्वोत्तम कारणों से किया गया है। (Hegel, उप० पु०, पृ०, २४६1),