काम का दिन . . पूंजी का यह विद्रोह दो साल बार पाखिर विजयी हुमा, जब कि इंग्लैश के सबसे ऊंचे चार न्यायालयों में से एक ने, पर्वात् Court of Exchequer (एक्सचेकर के न्यायालय) मे, ८ फरवरी १८५० के एक मुकदमे में यह फैसला सुना दिया कि कारखानेदार तो अवश्य १४ के कानून के पर्व के खिलाफ काम कर रहे थे, पर पुष इस कानून में कुछ ऐसे शब, जो उसे निरर्षक बना देते थे। 'इस फ़ैसले के बारा बस घण्टे का कानून रह कर दिया गया। बहुत से मालिक लड़के लड़कियों और स्त्रियों से relay system (पालियों की प्रणाली) के अनुसार काम लेने में अभी तक घबराते थे, अब उन्होंने धड़ल्ले से यह बीच शुरू कर दी।' परन्तु पूंजी की इस विजय के बाद, बो कि निर्णायक विजय मालूम होती थी, तुरन्त ही उसकी प्रतिक्रिया हुई। अभी तक मजदूर निष्क्रिय रंग से प्रतिरोध कर रहे थे, हालांकि यह प्रतिरोध न तो कभी डीला पड़ता था और बीच में एकता ही था। लेकिन अब मजदूरों ने लंकाशायर और योर्कशायर में ग्राने वाली सभाएं करके अपना विरोष प्रकट किया। रस घण्टे के जिस कानून का इतना शोर मचाया गया था, अब पता चला कि वह कोरी बोले की ही और एक संसदीय चाल पा और वास्तव में उसका कोई बबूब न पा! फेक्टरी- इंस्पेक्टरों ने सरकार को लगातार चेतावनी दी कि वर्गों का विरोध अविश्वसनीय सीमा तक सनावपूर्ण हो गया है। कुछ मालिक भी बड़बड़ाये : "मनिस्ट्रेटों के परस्पर विरोधी फैसलों के कारण सर्वधा असाधारण और परावक स्थिति उत्पन्न हो गयी है। योर्कशायर में एक कानून लागू है, लंकाशापर में दूसरा ; लंकाशापर के एक हलके में एक कानून अमल में पाता है, उससे बिल्कुल मिले हुए पड़ोसी हलो पर दूसरा कानून लागू है। बड़े-बड़े शहरों के कारजानेवारों के लिये कानून की खिलाफावी करना मुमकिन है। बेहाती इलाकों के कारखानेदारों को इतने मादमी ही नहीं मिलते कि वे उनसे relay system (पालियों की प्रणाली) के अनुसार काम ले सकें, और ऐसी स्थिति में मजदूरों को एक पटरी से दूसरी पटरी में बदलते रहना तो उनके लिये और भी कम सम्भव है," इत्यादि। और, बाहिर है, पूंजी का पहला जन्मसिद्ध अधिकार यह है कि सभी पूंजीपतियों को प्रम-शक्ति का समान शोषण करने की सुविधा होनी चाहिये। ऐसी परिस्थिति में मालिकों और मजदूरों के बीच एक समझौता हो गया, जिसपर ५ अगस्त १८५० के अतिरिक्त पटरी-कानून के रूप में संसद की मुहर भी लग गयी। "लड़के लड़कियों और स्त्रियों" के लिये सप्ताह के पहले पांच दिन में काम का दिन १० घन्टे से १ घटेका कर दिया गया और शनिवार को घटाकर ७ घटेका कर दिया २ .. . " IF. Engels, "Die englische Zehnstundenbill" [फे• एंगेल्स, 'इंगलैण्ड का दस घण्टे का बिल'] (कार्ल मार्क्स द्वारा सम्पादित "Neue Rheinische Zeitung. Politisch-Okonomische Revue” i ostet 9540 के अंक में, पृ० १३)। इसी उच्च न्यायालय ने अमरीका के गृह युद्ध के काल में एक ऐसी शाब्दिक संदिग्धता का प्राविष्कार किया था, जिसने कामार जहाजों की हथियारबन्दी को रोकने के लिये बनाये गये कानून का मतलब बिल्कुल उलट दिया था। "Rep., &c., for soth Aprit, 1850' ('रिसोर्ट, इत्यादि, ३० अप्रैल १८५०')। .
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