ग्यारहवां अध्याय अतिरिक्त मूल्य की दर और अतिरिक्त मूल्य की राशि . - पहले की तरह इस अध्याय में भी हम श्रम शक्ति के मूल्य को और इसलिये काम के दिन के उस भाग को, जो उस श्रम-शक्ति के पुनरुत्पादन अथवा भरण-पोषण के लिये प्रावश्यक होता है, स्थिर मात्राएं मानकर चल रहे हैं। इसके साथ-साप जब अतिरिक्त मूल्य की बर भी मालूम होती है, तब कोई मजदूर एक निश्चित अवधि में पूंजीपति को जितना अतिरिक्त मूल्य बेता है, उसकी राशि भी मालूम हो जाती है। मिसाल के लिये, यदि पावश्यक श्रम ६ घण्टे रोजाना का बैठता है, जो कि ३ शिलिंग के मूल्य के बराबर सोने की मात्रा में व्यक्त होता है, तो एक श्रमशक्ति का दैनिक मूल्य अथवा एक श्रम-शक्ति खरीदने में लगायी गयी पूंजी का मूल्य ३ शिलिंग होगा। इसके अलावा, यदि अतिरिक्त मूल्य की पर-१०० प्रतिशत, तो ३ शिलिंग की यह अस्थिर पूंजी ३ शिलिंग की अतिरिक्त मूल्य की राशि पैदा करेगी, या यूं कहिये कि मखदूर रोजाना ६ घण्टे के बराबर अतिरिक्त श्रम की राशि पूंजीपति को देगा। लेकिन किसी भी पूंजीपति की अस्थिर पूंची उन तमाम श्रमशक्तियों के कुल मूल्य की मुद्रा के रूप में अभिव्यंजना होती है, जिनसे वह एक साथ काम लेता है। इसलिये, जितनी भम-शक्तियों से काम लिया जा रहा है, यदि उनकी संख्या से एक श्रम शक्ति के प्रोसत मूल्य को गुणा कर दिया जाये, तो अस्थिर पूंजी का मूल्य निकल पाता है। इसलिये , श्रम-शक्ति का यदि मूल्य दिया गया हो, तो अस्थिर पूंजी का परिमाण एक साथ काम पर लगाये गये कामगारों की संख्या के प्रत्यक्ष अनुपात के अनुरूप होगा। यदि एक श्रम-शक्ति का दैनिक मूल्य- ३ शिलिंग, तो रोजाना १०० श्रम-शक्तियों का शोषण करने के लिये ३०० शिलिंग की पूंजी लगानी पड़ेगी। और रोजाना 'स' भम-शक्तियों का शोषण करने के लिये 'स' गुणा ३ शिलिंग की पूंजी की प्रावश्यकता होगी। इसी तरह, यदि ३ शिलिंग की प्रस्थिर पूंजी से, बो कि एक श्रम-शक्ति का दैनिक मूल्य है, रोजाना ३ शिलिंग का अतिरिक्त मूल्य पैदा होता है, तो ३०० शिलिंग की प्रस्थिर पूंजी से रोजाना ३०० शिलिंग का अतिरिक्त मूल्य पैदा होगा और "स" गुणा ३ शिलिंग की पूंजी से रोजाना "स" गुणा ३ शिलिंग का अतिरिक्त मूल्य पैदा होगा। इसलिये, एक मजदूर दिन भर में जितना अतिरिक्त मूल्य तयार करता है, उसे यदि जितने मजदूर काम कर रहे हैं, उनकी संस्था से गुणा कर दिया जाये, तो मालूम हो जायेगा कि अतिरिक्त मूल्य की कुल कितनी राशि पैसा हुई है। परन्तु, इसके अलावा, बब श्रम शक्ति का मूल्य पहले से मालूम तब चूंकि किसी भी एक मजदूर के पैदा किये हुए अतिरिक्त मूल्य की राशि पतिरिक्त मूल्य की दर से निर्धारित होती है, इसलिये इसके निष्कर्ष के रूप में हमें यह नियम मिलता है कि यदि पेशगी लगायी गयी अस्थिर पूंजी को अतिरिक्त मूल्य की दर से गुणा कर दिया जाये, तो उसका फल उत्पादित .
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