श्रम का विभाजन और हस्तनिर्माण ३९५ . है, वह एक ऐसा यंत्र है, जो हस्तनिर्माण के काल की एक खास विशेषता है। किसी माल का उत्पादक बारी-बारी से जो विविष प्रकार की क्रियाएं सम्पन्न करता है और जो उत्पादन के दौरान में एक दूसरे में मिलकर एक हो जाती है, वे उत्पादक से अनेक तरह की मांग करती हैं। एक क्रिया में उसे प्रषिक शक्ति वर्ष करनी पड़ती है, दूसरी में अधिक निपुणता की पावश्यकता होती है और किसी अन्य क्रिया में उसे अधिक ध्यान से काम करना पड़ता है। और किसी एक व्यक्ति में ये सारे गुण समान मात्रा में नहीं होते। जब हस्तनिर्माण एक बार विभिन्न कियानों को अलग करके एक दूसरे से स्वतंत्र एवं पृषक कर देता है, तो मजदूर भी अपने सबसे प्रमुख गुणों के माधार पर अलग-अलग किस्मों और दलों में बांट दिये जाते हैं। प्रव यदि एक मोर उनके स्वाभाविक गुणों से वह बुनियाद तैयार होती है, जिसपर भम का विभाजन खड़ा किया जाता है, तो दूसरी ओर, जब हस्तनिर्माण एक बार शुरू हो जाता है, तो वह जुब मजदूरों में कुछ ऐसी नयी शक्तियों को विकसित कर देता है, जो अपने स्वभाव से ही केवल कुछ सीमित और सास ढंग के कामों के लिये उपयुक्त होती हैं। अब सामूहिक मजदूर के पास वे सारे गुण समान रूप से मेष्ठतम मात्रा में मौजूद होते हैं, जिनकी उत्पादन के लिये प्रावश्यकता है, और वह अपनी इनियों से, यानी विशिष्ट मजदूरों अथवा मजदूरों के विशिष्ट बलों से, केवल उनके खास काम कराके इन तमाम को अधिक से अधिक मित- व्ययिता के साप खर्च करता है।' तफसीली काम करने वाले मजदूर जब किसी सामूहिक मजदूर का भाग हो जाता है, तो उसका एकांगीपन और उसके दोष उसके गुण बन जाते हैं। केवल एक ही चीन करने की पावत उसे एक ऐसे प्रचार में बदल देती है, जो कभी जता नहीं साता, और पूरे यंत्र के साथ उसका जो सम्बंध होता है, वह उसे मशीन के पुरों की नियमितता के साथ काम करने के लिये विवश कर देता है।' सामूहिक मजदूर को चूंकि सरल और जटिल, भारी और हल्के, दोनों प्रकार के काम करने होते हैं, इसलिये उसकी इन्द्रियों में, उसकी वैयक्तिक अम-शक्तियों में, . 16 - - 'कारखानेदार काम को अलग-अलग क्रियाओं में बांट देता है, जिनमें से हरेक के लिये अलग-अलग मात्रा में निपुणता की या शक्ति की आवश्यकता होती है। और तब वह निपुणता तथा शक्ति दोनों की ठीक वह मात्रा खरीद सकता है, जिसकी प्रत्येक क्रिया के लिये प्रावश्यकता है। इसके मुकाबले में, यदि पूरा काम एक मजदूर को करना पड़े, तो उस एक व्यक्ति में इतनी निपुणता होनी चाहिये कि वह इस वस्तु का उत्पादन जिन क्रियाओं में बंटा हुआ है , उनमें से सबसे अधिक जटिल क्रिया को कर सके, और इतना बलं होना चाहिये कि वह उनमें से सबसे अधिक श्रमसाध्य क्रिया को भी सम्पन्न कर सके।" (Ch. Babbage, उप० पु०, अध्याय १६ ।) 'उदाहरण के लिये, मक्सर मजदूरों की किन्हीं खास मांस-पेशियों का प्रसाधारण विकास हो जाता है, हड्डियां मुड़ जाती है, इत्यादि। 'एक जांच-कमिश्नर ने यह प्रश्न पूछा था कि नौजवानों को किस तरह बराबर काम में लगाकर रखा जाता है। कांच की एक हस्तनिर्माणशाला के जनरल मैनेजर मि० विलियम मार्शल ने इसका यह बिल्कुल सही उत्तर दिया था कि वे अपने काम के प्रति लापरवाही नहीं दिखा सकते। एक बार काम शुरू कर देने के बाद उनको बराबर काम करते रहना पड़ता है। वे तो faregat Hofta i got # Te glat I" ("Children's Empl. Comm, 4th Rep., 1865" ["बाल-सेवायोजन पायोग, चौपी रिपोर्ट, १८६५'], पृ. २४७ ।) . -
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