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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४३७

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४३४ पूंजीवादी उत्पादन .. नियमितता भी उतनी ही बढ़ती गयीं। स्वतःचलन की प्रणाली का अधिकाधिक विकास होता गया। रिन-क-दिन पहले से अधिक ममसह पदार्य का-जैसे लकड़ी के बजाय लोहे का-प्रयोग अनिवार्य बनता गया। परन्तु परिस्थितियों के प्रभाव से अपने पाप उत्पन्न हो गयी इन तमाम समस्यामों का हल करने में एक सकावट का हर जगह सामना करना पड़ता था। वह उन व्यक्तिगत सीमामों की सकावट पी, जिन्हें हस्तनिर्माण का सामूहिक मजदूर भी कुछ हद तक ही दूर कर सका था, लेकिन उनसे पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया पा। हस्तनिर्माण ऐसी मशीनें कभी नहीं बना सकता था, जैसे माधुनिक प्रवचालित गावक, ताकत से चलने वाला प्राधुनिक करपा और पुनाई की माधुनिक मशीन। अब उद्योग के किसी एक क्षेत्र में उत्पादन की प्रणाली में मौलिक.कान्ति हो जाती है, अन्य क्षेत्रों में भी उसी प्रकार का परिवर्तन पावत्यक हो जाता है। यह सबसे पहले उद्योग की उन शालाओं में होता है, जो एक ही प्रपिया की अलग-अलग अवस्याएं होने के नाते तो जुड़ी हुई होती हैं, पर साथ ही पो सामाजिक मम-विभाजन के द्वारा एक दूसरे से इस तरह अलग कर दी गयी हैं कि उनमें से प्रत्येक एक स्वतंत्र माल तैयार करती है। पुनांचे, बब कताई मशीनों से होने लगी, तो मशीनों से बुनाई करना भी प्रावश्यक हो गया और फिर दोनों ने मिलकर कपड़े सब करने के बंधे में और कपड़ों की छपाई और रंगाई में भी यह यान्त्रिक तवा रासायनिक कान्ति प्रावश्यक बना दी, बोबारको सम्पन्न हुई। दूसरी ओर, इसी तरह कपास की कताई. में कान्ति होने पर विनोलों को कईसे मलग करने के लिये कपास मोटने की कल का प्राविष्कार करना पावश्यक हो गया। कताई की मशीनों के लिये भावकल जिस बृहत् पैमाने पर का उत्पादन करना बहरी हो गया है, वह केवल इसी माविष्कार के फलस्वरूप सम्भव हुमाया। इससे भी अधिक विशेष रूप से, अब उद्योग तथा खेती की उत्पादन प्रणालियों में क्रान्ति हुई, तो उत्पादन की सामाजिक प्रक्रिया की सामान्य परिस्थितियों में-पर्वात् संचार और परिवहन के सापनों में- भी एक क्रान्ति का होना मावश्यक हो गया। रिये के शब्दों में, जिस समाज की pivot: (पुरी) सहायक घरेलू उद्योगों समेत छोटे पैमाने की खेती और शहरों की बस्तकारियां पी., उस समाज में जिस प्रकार के संचार और परिवहन के साधन , हस्तनिर्माण के काल के उत्पादन की पावश्यकतामों के लिये, जिसमें सामाजिक श्रम का विस्तारित विभाजन था, जिसके श्रम के प्राचारों और मजदूरों का.फेनीकरण हो गया था और जिसके लिये उपनिवेशों में मंग्यिां तैयार हो गयी थी, इतने अधिक अपर्याप्त थे कि उनमें सचमुच क्रान्तिकारी परिवर्तन हो गये। इसी प्रकार हस्तनिर्माण के काल से माधुनिक उद्योग को संचार और परिवहन के वो सावन मिले, में इस नये डंग के उद्योग के लिये, जिसमें वकानी गति से उत्पादन होता है, जिसका विस्तार बहुत लम्बा-चौड़ा है, वो पूंची और मम को सदा उत्पादन के एक क्षेत्र से निकालकर दूसरे क्षेत्र में गलता रहता है और जिसके पूरे संसार की मण्डियों से नवोत्पादित सम्बंध स्थापित हो चुके . एलि व्हिटने को बनायी हुई cotton gin (कपास मोटने की कल) में अभी हाल तक जितने कम मौलिक परिवर्तन हुए थे, उतने कम परिवर्तन १८ वीं सदी की किसी मौर मशीन में नहीं हुए थे। यह केवल ( १८५६ के बाद के) पिछले दस वर्षों की ही बात है कि अल्लानी, न्यूयार्क के निवासी, मि० एमेरी नामक एक और अमरीकी व्यक्ति ने व्हिटने की कल में एक ऐसा सुधार करके, जो जितना कारगर है, उतना ही सरल भी है, उसे बीते जमाने की चीज बना दिया। - -