मशीनें और माधुनिक उद्योग सहकारिता और हस्तनिर्माण पर विचार करते समय हम यह बता चुके हैं कि उत्पादन के कुछ खास तत्व-मसलन इमारतें-सामूहिक ढंग से इस्तेमाल होने के कारण अलग-अलग काम करने वाले मजदूरों के वितरे हुए उत्पादन के साधनों की तुलना में प्रषिक मितव्ययिता के साथ सर्च होते हैं और इसलिये थे पैदावार को पहले से सस्ती बना देते हैं। मशीनों की संहति में न केवल मशीन का डांचा उसके अनेक कार्यकारी कल-पुत्रों के द्वारा सामूहिक डंग से इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि मूल चालक और उसके साथ-साथ संचारक यंत्र का एक भाग भी अनेक कार्यकारी मशीनों के द्वारा सामूहिक ढंग से इस्तेमाल किया जाता है। यदि हमें यह पहले से मालूम है कि मशीनों का मूल्य और वे रोजाना जितना मूल्य पैदावार में स्थानांतरित कर देती हैं, उनमें कितना अन्तर है, तो यह स्थानांतरित मूल्य पैदावार को कितना महंगा बना देगा., यह सबसे पहले इस बात पर निर्भर करता है कि पैदावार का पाकार-प्रर्थात् उसका विस्तार-कितना बड़ा है। लकवन-निवासी मि० बेन्स ने १८५८ में प्रकाशित अपने एक भाषण में यह अनुमान लगाया है कि "प्रत्येक वास्तविक यांत्रिक प्रश्व-शक्ति तयारी सम्बन्धी समी सहायक उपकरणों सहित ४५० स्वचालित म्यूल-सकुओं 1 . जाहिर है, उस हद तक सही है, जिस हद तक कि उससे जे. बी. से के इस मत का खण्डन होता है कि मशीनें मूल्य पैदा करने के रूप में हमारी "सेवा" करती हैं और वह मूल्य "मुनाफ़े" का एक भाग होता है। एक प्रश्व-शक्ति ३३,००० फुट-पॉड प्रति मिनट की शक्ति के बराबर होती है, यानी वह उस शक्ति के बराबर होती है, जो एक मिनट में ३३,००० पौंड वजन को एक फुट ऊपर उठा सकती है या जो एक मिनट में एक पौण्ड वजन को ३३,००० फुट ऊपर उठा सकती है। पाठ में इसी अश्व-शक्ति का जिक्र किया गया है। साधारण भाषा में और कहीं-कहीं पर इस पुस्तक में दिये गये उद्धरणों में भी एक ही इंजन की “नाम मात्र की" और "व्यावसायिक", अथवा "निर्दिष्ट", अश्व-शक्ति में भेद किया गया है। पुरानी, अथवा नाम मात्र की, अश्व- शक्ति का केवल पिस्टन के पाषात की लम्बाई और बेलन के व्यास के प्राधार पर हिसाब लगाया जाता है और भाप की दाब और पिस्टन की गति का कोई खयाल नहीं रखा जाता। व्यवहार में वह यह व्यक्त करता है कि यदि इस इंजन को भाप की वैसी ही कम दाब और पिस्टन की वैसी ही गति से चलाया जाये, जैसी बूल्टन और वाट्ट के जमाने में इस्तेमाल होती थीं, तो यह इंजन ५० अश्व-शक्ति का काम करेगा। लेकिन उस जमाने के मुकाबले में अब भाप की दाब और पिस्टन की गति बहुत बढ़ गयी है। आजकल यह नापने के लिये कि किसी इंजन में कितनी ताकत है, एक सूचक का आविष्कार किया गया है, जो बता देता है कि बेलन में भाप की दाव कितनी है। पिस्टन की गति पासानी से मालूम हो जाती है। इस तरह, किसी इंजन की "निर्दिष्ट", अथवा "व्यावसायिक", अश्व-शक्ति गणित के एक सूत्र के द्वारा व्यक्त की जाती है, जिसका वेलन के व्यास, पाषात की लम्बाई, पिस्टन की गति और भाप की दाब, सबसे सम्बंध होता है और जो यह बता देता है कि यह इंजन एक मिनट में वजन के सचमुच किस गुणज को ऊपर उठा देगा। इसलिये "नाम मात्र की" एक अश्व-शक्ति तीन, चार या यहां तक कि पांच "निर्विष्ट", अथवा "वास्तविक", शक्तियों का भी कार्य कर सकती है। मागे के पृष्ठों में जो भनेक उद्धरण दिये गये हैं, उनको स्पष्ट करने के उद्देश्य से यह बात यहां कही गयी है।-के. ए. . - .
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४४२
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