४५४ पूंजीवादी उत्पादन कपड़ा छापने के पौर शोर के वातावरण का बेचारे बच्चों के मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। मैं बहुत से ऐसे स्कूलों में हो पाया हूं, जहां मैंने देखा कि बच्चों की पंक्तियों की पंक्तियां बैठी हैं और वे कुछ भी कर नहीं रहे हैं। पर स्कूल की हाजिरी के लिए इतना काफी माना जाता है और सरकारी प्रांकों में ऐसे बच्चों को शिक्षित (educated) दिखाया जाता है।"1 स्कोटलैण में कारखानेदार इसकी जी-तोड़ कोशिश करते हैं कि वे उन बच्चों के बिना ही काम चला लें, जिनको स्कूल भेजना बरूरी होता है। "प्रब यह बात साबित करने के लिए और बलीलों की जरूरत नहीं है कि पटरी-कानून की शिक्षा सम्बंधी धारामों का, जो मिल- मालिकों को इतनी नापसन्द है, प्रायः यह नतीजा होता है कि इन बच्चों को न तो नौकरी मिलती है और न बह शिक्षा, जो यह कानून उनको देना चाहता था। कारखानों में, जिनपर एक विशेष कानून लागू है, यह बात बहुत ही भयानक रूप धारण कर लेती है। इस विशेष कानून के अनुसार "कपड़ा छापने के किसी कारखाने में नौकर होने के पहले हर बच्चे के लिए यह जरूरी होता है कि उसने नौकरी के प्रथम दिन के पहले छः महीने के दौरान कम से कम ३० दिन और कम से कम १५० घण्टे तक किसी स्कूल में हाजिरी दी हो; और कपड़ा छापने के कारखाने में नौकरी करने के दौरान में भी उसे हर छः महीने में कम से कम एक बार ३० दिन और १५० घन्टे की यह हाजिरी पूरी करके विलानी होगी स्कूल में हाजिरी का समय सुबह ८ बजे से शाम के ६ बजे के बीच होना चाहिये। यदि एक दिन में कोई बच्चा २६ घण्टे से कम या ५ घण्टे से ज्यादा स्कूल में उपस्थित रहेगा, तो वह समय १५० घण्टों में शामिल नहीं किया जायेगा। साधारणतया बच्चे ३० दिन तक सुबह को और तीसरे पहर को रोज कम से कम पांच घण्टे स्कूल में हाजिर रहते हैं। और ३० दिन पूरे हो जाने के बाद, जब १५० घन्टे की कानूनी अवधि पूरी हो जाती है, या, इन लोगों की भाषा में, खानापुरी हो जाने के बाद, वे कपड़ा छापने के कारखाने में लौट पाते हैं, जहां के छः महीने तक काम करते रहते हैं, और छ: महीने पूरे हो जाने पर स्कूल की हाजिरी की एक नयी किस्त शुरू हो जाती है, और जब तक बोबारा खानापुरी नहीं हो जाती, तब तक वे फिर स्कूल में हाजिरी बनाते रहते हैं । बहुत से लड़के कानून द्वारा निर्धारित घन्टे स्कूल में बिताकर कपड़ा छापने के कारखाने में काम करने चले जाते हैं और छः महीने का काम पूरा करने के बाद जब वहां से लौटते हैं, तो वे उसी हालत में होते हैं, जिस हालत में ये पहली बार कपड़ा छापने के कारखानों में काम करने वाले लड़कों के रूप में स्कूल में हाजिर हुए थे और पहली बार स्कूल में बैठकर उन्होंने जो कुछ पाया था, उस सब को तो पाते कपड़ा छापने के दूसरे कारखानों में स्कूल में बच्चों की हाजिरी पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है कि कारखाने का काम उसकी इजाजत देता है या नहीं। हर छ: महीने के पीछे बो १५० घण्टे की हाजिरी पावश्यक होती है, वह ३ घण्टे से लेकर ५ घण्टों तक की बहुत सी फैली हुई किस्तों में पूरी कर दी जाती है। कभी-कभी तो ये किस्तें पूरे छ: महीनों . .
Tautare glute; "Reports, &c., for 31st Oct., 1857" ('fruta, fruita, ३१ अक्तूबर १८५७'), पृ० १७ ,१८ । 'सर जान किनकेड; "Reports, &c., 31st Oct., 1856" ("रिपोर्ट, इत्यादि, ३१ अक्तूबर १८५६' ), पृ. ६६। . .