पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/५०७

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५०४ पूंजीवादी उत्पादन . . . अन्तिम बात यह है कि माधुनिक उद्योगों की असाधारण उत्पादकता के कारण, जिसके साथ-साथ उत्पादन के अन्य सभी क्षेत्रों में मम-शक्ति का पहले से अधिक व्यापक पार पहले से अधिक तीव शोषण होने लगता है, मजदूर वर्ग के अधिकाधिक बड़े हिस्से से अनुत्पादक डंग का काम लेना सम्भव होता जाता है और इसके फलस्वरूप प्राचीन काल के घरेलू बालों का नौकर-वर्ग के नाम से, जिसमें नौकर-नौकरानियां, व्हलुए मादि शामिल होते हैं, निरन्तर बढ़ते हुए पैमाने पर पुनरुत्पावन होने लगता है। १८६१ को जन-गणना के अनुसार, इंगलैग और बेल्स की पावादी २,००,६६,२२४ थी। उसमें ९७,७६,२५६ पुरुष थे और १,०२,८६,६६५ स्त्रियां थीं। इस संख्या में से यदि हम उन लोगों की तादाद घटा , मो या तो बहुत अधिक मायु होने के कारण और या बहुत कम पायु के कारण काम नहीं कर सकते थे, उत्पादन में भाग न लेने वाली सभी स्त्रियों, लड़के-लड़कियों और बच्चों की गणना न करें, "वैचारिक" पंधों में लगे हुए व्यक्तियों को, से सरकारी कर्मचारियों, पादरियों, वकीलों, सिपाहियों पादि को,-घटा दें, और इसके अलावा, यदि हम उन लोगों को भी अलग कर , जिनका लगान, सूब मावि के रूप में दूसरों के मम को हड़पने के सिवाय और कोई बंधा नहीं है, और, अन्त में, कंगालों, मावारा लोगों और अपराधियों को भी एक तरफ छोड़ दें, तो मोटे तौर पर प्रस्सी लास व्यक्ति बच रहते हैं, जिनमें प्रत्येक मायु की स्त्रियां और पुरुष दोनों शामिल हैं। उद्योगों , वाणिज्य तथा वित्त-प्रबंध में किसी भी रूप में लगा हुमा प्रत्येक पूंजीपति भी इस संख्या में शामिल होता है। इन ८० लाख व्यक्तियों में हैं: खेतिहर मजबूर (जिनमें वे तमाम लोग, जो कोयला- गड़रिये, फार्मों के नौकर सानों और धातु की खानों पौर किसानों के घरों में काम में काम करते हैं ५.६५,८३५ करने वाली नौकरानियां भी वे तमाम लोग, बो पातु के शामिल हैं) १०,९८,२६१ कारखानों (पिघलाऊ तमाम लोग, जो सूती, ऊनी भट्ठियों, रोलिंग मिलों और बटे हुए उनका सामान मादि) में और हर तरह तैयार करने वाली मिलों में, का पातु का सामान प्रलेक्स, सन, रेशम और तैयार करने वाले कारखानों पाट की पटरियों में, और ३,६९ मशीनों से मोचे और लैस मौकर-वर्ग. १२,०८,६४६' बनाने के बंधों में काम ६,४२,६०७॥ . . इनमें से १३ वर्ष से अधिक उम्र के केवल १,७७,५९६ ही पुरुष है। 'इनमें से ३०,५०१ स्त्रियां है। इनमें से १,३७,४७ पुरुष है। १२,०८,६४८ की इस संख्या में ऐसे किसी व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया है, जो किसी के घर में नौकरी नहीं करता। १८६१ और १८७० के बीच पुरुष नौकरों की संख्या लगभग दुगुनी हो गयी। वह २,६७,६७१ पर पहुंच गयी। १८४७ में (पमींदारों की शिकारगाहों में) शिकार के पामों की देखरेख करने वालों की