५८४ पूंजीवादी उत्पादन भिन्न प्रकार के योग हो सकते हैं। और इस बात से इन योगों की संख्या और भी बढ़ जाती है कि जब ये तीनों तत्व एक साथ बदलते हैं, तब मुमकिन है कि उनके परिवर्तन की मात्रा और विषा भिन्न-भिन्न हों। नीचे हमने इनमें से केवल महत्वपूर्ण योगों पर विचार किया है। . १. काम के दिन की लम्बाई और श्रम की तीव्रता स्थिर रहती हैं, श्रम की उत्पादकता बदलती जाती है . . . जब हम यह मानकर चलते हैं, तब भम शक्ति का मूल्य और अतिरिक्त मूल्य का परिमाण तीन नियमों के अनुसार निर्धारित होते हैं: (१) मम की उत्पादकता और उसके साथ-साथ पैदावार की राशि और प्रत्येक अलग- अलग माल के दाम में चाहे जितने परिवर्तन होते रहें, एक बाल लम्बाई का काम का दिन मूल्य की हमेशा एक ही मात्रा पैरा करता है। मान लीजिये कि १२ घन्टे के काम के दिन में शिलिंग का मूल्य पैदा होता है, तो हालांकि पैदावार की राशि तो श्रम की उत्पादकता के साथ घटती-बढ़ती रहेगी, मगर उसका केवल यही मतीचा होगा कि छ: शिलिंग जिस मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है, वह वस्तुओं की पहले से कम या अधिक संस्था पर फैल जायेगा। (२) अतिरिक्त मूल्य और मम-शक्ति का मूल्य उल्टी विशामों में घटते-पढ़ते हैं। मम की उत्पादकता में बो परिवर्तन पाता है, को घटा-बड़ी होती है, वह मन-शक्ति के मूल्य को उल्टी विशा में और अतिरिक्त मूल्य को उसी दिशा में बदल देती है। मान लीजिये कि १२ घन्टे के काम के दिन में शिलिंग का मूल्य पैदा होता है। यह एक स्थिर मात्रा है, जो अतिरिक्त मूल्य और मन-शक्ति के मूल्य का बोड़ होती है, जिनमें से मन-शक्ति के मूल्य का स्थान मजदूर एक सम-मूल्य के द्वारा भर देता है। यह बात स्वत:स्पष्ट है कि कोई स्थिर मात्रा दो हिल्लों के पड़ने से तैयार होती है, तब उनमें से कोई हिस्सा उस बात तक नहीं बढ़ सकता, जब तक कि दूसरा हिस्सा उतना ही घटन-बाये। मान लीजिये, शुरू में दोनों हिस्से बराबर है: मम शक्ति का मूल्य ३ शिलिंग है और अतिरिक्त मूल्य भी , शिनिंग है। अब मन-शक्ति का मूल्य उस बात तक तीन सिलिंग से बढ़कर बार शिलिंग नहीं हो सकता, जब तक कि उसके साथ-साथ अतिरिक्त मूल्य तीन शिलिंग से घटकर दो शिलिंब का नहीं रह पाता। पर अतिरिक्त मूल्य तीन शिलिंग से बहकर चार शिलिंग उस बात तक नहीं हो सकता, जब तक कि उसके साथ-सावमम-शक्तिका मूल्यातील शिलिंगसे घटकर दो शिलिंग मही र माता। इसलिये इन परिस्थितियों में अतिरिक्त मूल्य के या बम-शक्ति के मूल्य के निरपेक्ष परिमाण में उस बात तक कोई परिवर्तन नहीं हो सकता, जब तक कि उसके साथ-साथ उनके सापेक्ष परिमानों में भी पानी एक दूसरे की तुलना में भी उन परिमाणों में, परिवर्तन नहीं हो पाता। दोनों एक साथ नतोपासनते हैं और सकते है। इसके बनावी मार-पिता का मूल्य उस बात गिड़ नहीं सकता:मारा मतिगित मूल्य उस बात तक बढ़ नहीं सकता, जब तक कि मन की उत्पादकता नहीं बन पाती। पर- की मिसाल हमने भी पी, उसमें सम-सापित का भूस्यातीय मिलिंक से गिरकर वो किलिंग उस बात तक नहीं हो सकता, कलावता तनी दाहोचाव, सित
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