पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम . जिनकी इस समय देश में बहुतायत है और जो इंगलेज की सम्यता के माथे पर कलंक का टीका है। यह सचमुच बहुत ही कुल की बात है कि मौजून घरों की हालत क्या है, यह अच्छी तरह जानते हुए भी सभी योग्य पर्यवेक्षकों का समान रूपसे यह मत है कि मकानों की अपर्याप्त संख्या के मुकाबले में उनकी मौजूदा हालत भी अपेक्षाकृत कम फ्रोरी बुराई है। बेहाती मजदूरों के घरों में जो अत्यधिक भीड़ भरी रहती है वह, वर्षों से न केवल सफाई की मोर ध्यान देने वाले लोगों के लिये, बल्कि उन लोगों के लिये भी चिन्ता का विषय बनी हुई है, जो मर्यादित तथा नैतिक जीवन चाहते हैं। कारण कि बेहाती इलाकों में महामारियों के प्रसार की रिपोर्ट देने वाले व्यक्तियों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है, और उसके लिये इस हब तक एक सी शब्दावली का प्रयोग किया है कि उन सब की रिपोर्ट एक सांचे में डली हुई मालूम होने लगती हैं,-कि इस सिलसिले में इस भीड़ का अत्यधिक महत्व होता है, क्योंकि जब एक बार कोई बीमारी कहीं पर घुस पाती है, तो इस भीड़ के कारण उसको फैलने से रोकना लगभग असम्भव हो जाता है। और यह बात बार-बार कही जा चुकी है कि बेहात के जीवन में जो अनेक स्वास्थ्यप्रद बातें हैं, उनके बावजूद इस भीड़ से न सिर्फ छूत की बीमारियों के फैलने में मदद मिलती है, बल्कि वे रोग भी फैलते हैं, जो संक्रामक नहीं हैं। एक और बुराई है, जिसके बारे में के लोग खामोश नहीं रहे हैं, जिन्होंने हमारी देहाती मावादी के बहुत अधिक भीड़ से भरे इन स्थानों में रहने की निन्दा की है। जहां पर इन लोगों को मुख्यतया केवल स्वास्थ्य को पहुंचने वाली हानि का खयाल पा, वहां पर भी उनको अक्सर एक तरह से मजबूर होकर कुछ और सम्बंधित बातों का भी जिक्र करना पड़ा है। उनकी रिपोर्टों में बताया गया है कि बहुपा बयस्क पुरुष और बयस्क स्त्रियां, विवाहित और अविवाहित, सब के सब सोने के लिये एक ही कमरे में सास भर जाते हैं (huddled)। इन रिपोर्टों में यह बात प्रमाणित कर दी गयी है कि उन्होंने जिस प्रकार की परिस्थितियों का वर्णन किया है, उनमें मर्यादा का प्रतिक्रमण होना और नैतिकता का नष्ट हो जाना अवश्यम्भावी है।' उदाहरण के लिये, मेरी पिछली वार्षिक रिपोर्ट के परिशिष्ट में ग. पोर ने बकिंघमशायर के विंग नामक स्थान में महामारी के रूम में बुखार के फैलने के विषय में अपनी रिपोर्ट देते हुए बताया है कि इस स्थान में सबसे पहले एक नौजवान विष से मुखार लेकर पाया था। अपनी बीमारी 14 - 'जब भाई-बहन बड़े हो जाते हैं, तो नव-विवाहित दम्पतियों को बराबर देखते रहना उनके लिये हितकारी नहीं हो सकता; और हम यहां पर विशिष्ट घटनामों का तो जिक्र नहीं कर सकते, लेकिन यह कहने के लिये हमारे पास पर्याप्त तथ्य मौजूद हैं कि सगोत्र सम्भोग के अपराध में जो लड़की भाग लेती है, उसे तरह-तरह की मुसीबतें सहनी पड़ती है और कभी- कभी तो उसकी मौत तक हो जाती है।" (डा. हण्टर, उप० पु., पृ० १३७ ।) देहाती पुलिस के एक सदस्य ने, जिसने अनेक वर्षों तक लन्दन के सबसे खराब इलाकों में ब.फ़िया का काम किया है, अपने गांव की लड़कियों के बारे में कहा है : “मैंने अनेक वर्षों तक पुलिस में काम किया है और लन्दन के सबसे खराब मुहल्लों में च.फ़िया का भी काम किया है, पर इन लड़कियों जैसी बेहयाई और बेशर्मी मैंने कभी नहीं देखी थी ... ये सब सुमरों की तरह रहते हैं। बहुत सी जगहों में बड़े-बड़े लड़के-लड़कियां और मां-बाप सब एक कमरे में सोते है।" ("Child. Empl. Com. Sixth Report, 1867" [farewaretra-arett i got faute १८६७'] परिशिष्ट, पृ. ७७, अंक १५५।)
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