पूंजीवादी संचय का सामान्य नियम ७५९ , , 1 . अभिशाप से मुक्त हो गये, उनपर इसका क्या असर पड़ा? यही किमान भी पायरनेस में सापेका अतिरिक्त जन-संस्था उतनी ही बड़ी है, जितनी १८४६ के पहले पी; मजदूरी भी पहले की तरह ही कम मिलती है। हां, मजदूरों पर अत्याचार बढ़ गया है और परीबी के कारण देश में एक नया संकट पैदा हो रहा है। कारण बहुत सीधे-सादे हैं। परावास के साथ-साथ लेती में कान्ति होती गयी है। जन-संख्या में जितनी निरपेक्ष ढंग की कमी पायी है, उससे अधिक सापेक्ष अतिरिक्त बन-संख्या पैदा हो गयी है। तालिका (ग) पर मवर गलिये, तो पाप समझ जायेंगे किती योग्य जमीन के बरागाहों में बदल दिये जाने का जितना असर इंगलैंड में हुमा है, उससे स्यावा असर प्रापरलेस में हुमा होगा। इंगलैग में पशु-प्रजनन के साथ-साथ हरी फसलों की खेती बढ़ती जाती है। मायरलेस में यह घटती जाती है। एक तरफ बहुत सारी समीन, जो पहले जोती-चोयी जाती थी, बेकार पड़ी है या स्थायी रूप से घास के मैदानों में बदल दी गयी है। दूसरी तरफ बहुत सी ऐसी बंजर और बलवली बमीन, जो पहले किसी काम में नहीं पाती थी, अब पशु-प्रजनन का विस्तार करने के काम में पाने लगी है। छोटे और मझोले काश्तकारों की संख्या-जो लोग १०० एकर से ज्यादा की खेती नहीं करते, उन सबको में इसी श्रेणी में रखता हूं-अब भी काश्तकारों की कुल संख्या का भाग है। पूंजी द्वारा संचालित खेती की प्रतियोगिता उनका एक-एक करके ऐसा बुरी तरह सत्यानाश करती है, जैसा इसके पहले कभी नहीं देखा गया था, और इसलिये इन लोगों में से मजदूरों के वर्ग को लगातार नये रंगल्ट मिलते रहते हैं। प्रायरलण में बड़ा उद्योग एक है : सन का कपड़ा बनाने का उद्योग। उसके लिये अपेक्षाकृत कम संख्या में वयस्क पुरुषों की मावश्यकता होती है, और हालांकि १८६१-६६ में कपास के दाम बढ़ जाने के बाद इस उद्योग का काफी विस्तार हो गया है, फिर भी इसमें कुल मिलाकर पावाबी का एक अपेक्षाकृत महत्वहीन भाग काम करता है। माधुनिक लंग के अन्य बड़े उद्योगों की तरह इस उद्योग में भी निरन्तर उतार-चढ़ाव पाता रहता है और उसके फलस्वरूप वह भी खुद अपने क्षेत्र में लगातार अतिरिक्त जन-संख्या उत्पन्न करता रहता है। इस उद्योग में काम करने वालों की निरपेक्ष संख्या में जब वृद्धि होती है, तब भी सापेक्ष अतिरिक्त जन-संस्था का उत्पादन नहीं रुकता । खेतिहर मावाबी की गरीबी की बुनियाद पर कमी बनाने वाले दैत्याकार कारखाने बड़े हो गये हैं, जिनके मजदूरों की विशाल सेनाएं माम तौर पर बेहात में विलरी रहती है। यहां फिर घरेलू उद्योग की यह प्रणाली हमारे सामने पाती है, जिस प्रणाली के कम मजदूरी देने और अत्यधिक काम लेने के रूप में फालतू मजदूरों को पैदा करने के अपने सुनियोजित तरीके हैं। मन्तिम बात यह है कि हालांकि पावादी के कम हो जाने का. यहां उतना घातक प्रभाव नहीं होता है, जितना किसी पूर्णतया विकसित पूंजीवादी उत्पादन पाले देश में होता, फिर भी उसका घरेलू मन्बी पर लगातार प्रसर पड़ता है। यहां परावास से बो कमी पैदा हो जाती है, यह न केवल मम की स्थानीय मांग को घटा देती है, बल्कि छोटे दुकानदारों, कारीगरों, व्यापारी पेशा लोगों की माप को भी ग्राम तौर पर सीमित कर देती , . 2 1 Murphy (98) "Ireland Industrial, Political and Social" ('मायरलैण्ड का प्रौद्योगिक, राजनीतिक और सामाजिक जीवन') (१८७०) में दी गयी एक तालिका के अनुसार ९४.६ प्रतिशत जोतें १०० एकड़ तक नहीं पहुंचतीं, ५.४ प्रतिशत १०० एकड़ से ऊपर है।
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