प्रौद्योगिक पूंजीपति की उत्पत्ति ८४३ » 1 विकास जल्दी से पूरा कर गलने की कोशिश की जाती है, उसी प्रकार सामन्ती उत्पादन- प्रणाली को पूंजीवावी प्रणाली में पान्तरित करने की क्रिया को जल्दी से पूरा कर गलने के लिये और उसको संक्षिप्त कर देने के उद्देश्य से इन सभी तरीकों में समान के संकेनित एवं संगठित बल का- राज्य की सत्ता का-प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक ऐसे पुराने समाज के लिये, जिसके गर्भ में नये समाज का अंकुर बढ़ रहा है, बल प्रयोग बच्चा जनवाने वाली बाई का काम करता है। बल प्रयोग स्वयं एक प्रार्षिक शक्ति है। उब्लयू० हौविट्ठ ने, जिन्होंने ईसाई धर्म का विशेष रूप से अध्ययन किया है, ईसाई प्रोपनिवेशिक व्यवस्था के बारे में लिखा है: "ईसाई कहलाने वाली नस्ल ने संसार के प्रत्येक इलाके में और हर ऐसी कौम पर, जिसे वह जीतने में सफल हुई है, जैसे बर्बर और भयानक अत्याचार किये है, वैसे अत्याचार पृथ्वी के किसी भी युग में किसी और नस्ल ने, वह चाहे जितनी बूंजार, जाहिल और क्या तथा लन्ना से विहीन क्यों न रही हो, नहीं किये हैं।' हालेन्ड के प्रोपनिवेशिक प्रशासन का इतिहास -और यह ध्यान रहे कि हालेप १७ वीं शताब्दी का प्रमुख पूंजीवादी देशपा - "विश्वासघात, घूसखोरी, हत्याकाण और नीचता की एक अत्यन्त असावारण कहानी है।" हालेग वाले जावा में गुलामों के रूप में इस्तेमाल करने के लिये सेलेबीच में इनसानों की चोरी किस तरह किया करते थे, उससे उनके तरीकों पर काफी प्रकाश पड़ता है। कुछ लोगों को इनसानों को चुराने की विशेष शिक्षा दी जाती थी। चोर, दुनापिये और बेचने वाले इस व्यापार के मुख्य पाढ़ती थे और देशी राजा मुख्य बेचने वाले थे। जिन युवक-युवतियों को पुराया जाता था, उनको जब तक ये वासों के समान काम करने के लायक नहीं होते और जहाजों में भरकर नहीं भेजे जाते, तब तक सेलेबीच के गुप्त वसानों में बन्द करके रखा जाता था। एक सरकारी रिपोर्ट में लिखा है: “मिसाल के लिये, यह एक शहर, मैकेस्सर, गुप्त खेलनानों से भरा हुआ है, जिनमें से प्रत्येक दूसरे से अधिक भयानक है और जिनमें लोभ और अन्याय के शिकार के प्रभागे इनसान भरे हुए हैं, जिनको उनके परिवारों से सबर्दस्ती अलग करके संजीरों में जकड़ दिया गया है।" मलाका को जीतने के लिये च लोगों ने पुर्तगाली गवर्नर को घूस देने का वायवा करके अपनी तरफ़ कर लिया था। उसने १६४१ में - 1 William Howitt, “Colonisation and Christianity. A Popular History of the Treatment of the Natives by the Europeans in all their Colonies” (fafeters हौविट्ट, 'उपनिवेशीकरण और ईसाई धर्म। योरपीय लोगों ने अपने सभी उपनिवेशों में वहां के मूलवासियों के साथ जो व्यवहार किया, उसका एक सुगम इतिहास'), London, 1838, पृ० ६। उपनिवेशों में दासों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था, इसके बारे में चार्ल्स कांत की रचना "Traite de la Legislation" (तीसरा संस्करण, Bruxelles, 1837) में काफी जानकारी इकट्ठी कर दी गयी है। जो लोग यह जानना चाहते हैं कि जहां कहीं पूंजीपति-वर्ग बिना किसी रोक-थाम के दुनिया का अपनी हार्दिक इच्छा के अनुसार पुनर्निर्माण कर सकता है, वहां वह खुद अपने को और मजदूर को क्या बना गलता है, उनको इस रचना का विस्तार के साथ अध्ययन करना चाहिये। देखिये जावा द्वीप के भूतपूर्व लेफ्टिनेण्ट गवर्नर Thomas Stamford Raffles की रचना “The History of Jaua" ['जावा का इतिहास'], London, 1817 [बण्ड २, परिशिष्ट, पृ. CXC (एक सौ नब्बे)-CXCI (एक सौ इकानवे )]। .
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८४६
दिखावट