पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/८७०

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उपनिवेशीकरण का माधुनिक सिद्धान्त ८६७ पारा और इंगलैड के बने हुए माल के प्रास्ट्रेलिया में पाने के कारण यहां के छोटे से छोटे वस्तकार को भी जिस प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा था, उसके साथ मिलकर भमनीषियों को एक बहुत काफी बड़ी "सापेक अतिरिक्त बन-संस्था" पैदा कर दी है। इसका परिणाम यह हमा है कि जब भी प्रास्ट्रेलिया की गक इंगलस पहुंचती है, तो हर बार यह रोना सुना जाता है कि "प्रास्ट्रेलिया की मम की ममी मजदूरों से एकवन प्रटी हुई है" ("glut of the Australian labour-market") और वहां कुछ स्थानों में वेश्यावृत्ति का उसी अनियंत्रित ढंग से प्रसार हो रहा है, जिस अनियंत्रित ढंग से वह लन्दन के हेमारकेट नामक स्थान में फैली हुई है। लेकिन यहां पर उपनिवेशों की रक्षा से हमारा कोई सम्बंध नहीं है। यहां हमारी दिलचस्पी केवल उस रहस्य तक ही सीमित है, जिसका पुरानी दुनिया के प्रर्ष-शास्त्रियों ने नयी दुनिया में प्राविष्कार किया है और जिसकी वे मुले-माम घोषणा कर रहे हैं। और वह रहस्य यह है कि उत्पावन और संचय की पूंजीवादी प्रणाली के और इसलिये पूंजीवादी निजी सम्पत्ति के अस्तित्व में पाने की बुनियादी शर्त यह है कि मनुष्य द्वारा पुर कमायी हुई निजी सम्पत्ति का विनाश कर दिया जाय, या, दूसरे शब्दों में, मजदूर की सम्पत्ति का अपहरण कर लिया जाये। और यह बात इन कानूनों के मार्ग में बाधा डालती थी। "१८६२ के नये भूमि-कानून का पहला 'पौर मुख्य उद्देश्य लोगों को बसाने के लिये पहले से अधिक सुविधाएं देना है।" ("The Land Law of Victoria", by the Hon. C. C. Duffy, Minister of Public Lands) ["विक्टोरिया का भूमि-कानून', सार्वजनिक भूमि-क्षेत्रों के मंत्री, माननीय सी० जी० डमी द्वारा लिखित], London, 1862 [पृ० ३]1) 55.