प्रकाशक की ओर से कार्ल मार्क्स की कालजयी कृति 'पूंजी' के दूसरे खंड का हिंदी अनुवाद पाठकों के हाथों में रखा जा रहा है। पहले खंड का हिंदी अनुवाद प्रगति प्रकाशन, मास्को, द्वारा १९६५ में प्रकाशित किया गया था और १९७५ में उसका पुनर्मुद्रण हुआ था। दूसरे खंड में कुछ पारिभाषिक शब्दों में अंतर है। कारण यह है कि पहले खंड के अनुवाद के बाद से हिंदी पारिभाषिक शब्दावली का और विकास हुआ है और दूसरे खंड में उसका यथासंभव लाभ उठाने का प्रयास किया गया है। इसके लिए जहां तक हो सका है, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित 'वृहत् पारिभाषिक शब्द-संग्रह' का उपयोग किया गया है। 'पूंजी' के दूसरे खंड को कार्ल मार्क्स के देहावसान के बाद फ्रेडरिक एंगेल्स ने प्रकाशनार्थ तैयार किया था और उसका अंतिम संपादन किया था। उसका पहला जर्मन संस्करण १८८५ में प्रकाशित हुआ था। १८६३ में प्रकाशित दूसरा जर्मन संस्करण भी एंगेल्स ने ही प्रकाशनार्थ तैयार किया था। 'पूंजी' के दूसरे खंड का यह हिंदी अनुवाद १८६३ के जर्मन संस्करण पर आधारित अंग्रेजी संस्करण (विदेशी भाषा प्रकाशनगृह , मास्को, १९५६ ) से किया गया है। अंग्रेजी संस्करण को एंगेल्स द्वारा संपादित मूल जर्मन पांडुलिपि से सावधानीपूर्वक मिला लिया गया था, जो सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के मार्क्सवाद-लेनिनवाद संस्थान में सुरक्षित रखी हुई है। पुस्तक में 'पूंजी', खंड २, के पहले तथा दूसरे जर्मन संस्करणों के लिए एंगेल्स द्वारा लिखित भूमिकाएं भी दी गयी हैं। 'पूंजी' के पहले खंड के हिंदी संस्करण से संबद्ध सभी उद्धरण प्रगति प्रकाशन , मास्को, द्वारा प्रकाशित कार्ल मार्क्स , 'पूंजी', खंड १ से लिये गये हैं। .
पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४
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