पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/६७

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६६ पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ दूसरी बात यह कि नमग्र परिचलन स्वयं को ऐसे रूप में प्रस्तुत करता है, जो द्रव्य पूंजी के परिपय में उसके रूप का उलटा होता है। मूल्य निर्धारण को छोड़कर वहां यह रूप था : द्र-मा-द्र (द्र-मा। मा-द्र); यहां - मूल्य निर्धारण के बिना ही- यह रूप मा-द्र- मा (मा-द्र। द्र- मा), अर्थात पण्य वस्तुओं के साधारण परिचलन का रूप है। १. साधारण पुनरुत्पादन उ .. पहले हर मा' द्र' मा प्रक्रिया पर विचार करें,जो परिचलन क्षेत्र में उ के दो छोरों के बीच घटित होती है। इस परिचलन का प्रारम्भ विन्दु है माल पूंजी : मा' =मा+माउ+ मा। माल पूंजी के कार्य मा' - द्र' की छानवीन परिपथ के पहले रूप में की गई थी ( इसमें समाहित पूंजी मूल्य का सिद्धिकृत रूप उ के बराबर है, जो अब माल मा' के मा अंश के और उसमें समाहित वेशी मूल्य के भी रूप में विद्यमान है ; यह वेशी मूल्य मालों के उसी परिमाण के संघटक अंश के रूप में विद्यमान है और इसका मूल्य मा है)। किन्तु वहां यह कार्य अंतरायित परिचलन का दूसरा दौर और संपूर्ण परिपथ का अन्तिम दौर होता है। यहां यह परिपथ का दूसरा, किन्तु परिचलन का पहला दौर होता है। पहले परिपथ की समाप्ति द्र' से होती है। चूंकि द्र' और मूल द्र भी द्रव्य पूंजी की हैसियत से दूसरे परिपथ को पुनः प्रारम्भ कर सकते हैं, इसलिए पहले यह देखना आवश्यक नहीं था कि द्र' में समाहित द्र और द्र (वेशी मूल्य ) अपना रास्ता साथ-साथ तय करते हैं अथवा दोनों अपने अलग- अलग रास्ते पकड़ते हैं। यह तभी आवश्यक होता कि जब हम पहले परिपथ के नवीकृत मार्ग में आगे उसकी गति का अनुगमन करते। किन्तु इस बात का निर्णय उत्पादक पूंजी के परिपथ में होना चाहिए, क्योंकि उसके पहले ही परिपथ का निर्धारण इस पर निर्भर होता है और क्योंकि इसमें मा' - द्र' परिचलन के पहले दौर के रूप में प्रकट होता है, जिसकी पूर्ति द्र- मा द्वारा करनी होती है। इस निर्णय पर यह निर्भर करता है कि यह सून साधारण पुनरुत्पादन का सूचक है या विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन का। जो भी निर्णय किया जाये , उसके अनुसार परिपथ का स्वरूप बदल जाता है। इसलिए हम पहले उत्पादक पूंजी के साधारण पुनरुत्पादन पर विचार करेंगे और पहले अध्याय की तरह यहां भी यह मान लेंगे कि परिस्थितियां अपरिवर्तनीय रहती हैं और माल अपने मूल्यों पर ख़रीदे और वेचे जाते हैं। यह मान लेने पर समूचा वेशी मूल्य पूंजीपति के व्यक्तिगत उपभोग में प्रवेश कर जाता है। माल पूंजी मा का द्रव्य में रूपान्तरण होने के साथ द्रव्य का वह भाग, जो पूंजी मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है, औद्योगिक पूंजी के परिपथ में अपना परिचलन जारी रखता है। दूसरा भाग, जो द्रव्य में रूपांतरित वेशी मूल्य है , मालों के सामान्य परिचलन में प्रवेश कर जाता है। वह द्रव्य का ऐसा परिचलन है, जिसका उद्भव पूंजीपति के यहां होता है, किन्तु जो उसकी वैयक्तिक पूंजी के परिचलन के बाहर सम्पन्न होता है।