पृष्ठ:कालिदास.djvu/११२

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पासिवास। बड़ी मादी पात है! कीजिए । 'यदि गे! प्रमा प्रकाशित करने में रुकावट ही कौनसीसमकती है। पदि भाप कालिदास को जिनसेन का समकालीन सिद्ध कर दो तो कालिदास का समय निमित करने का यश मी भयश्य दीभापको मिल जायगा। SHA -