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पृष्ठ:कालिदास.djvu/१३५

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oda0000000000 18 -कालिदास की विद्वत्ता। 300000 1000000000000000 फवित्व-शक्ति। लिदास ने यद्यपि अपने जन्म से भारत ही को अलंकृत किया, तथापि पे अकेले मारत ही के कवि नहीं । उन्हें इस भूमण्डल का महाकवि कहना चाहिए। उनकी कविता से भारतवासियों ही को प्रानन्द-वृद्धि नहीं होती। उसमें कुछ ऐसे गुण हैं कि अन्य देशों के निवासियों को भी उसके पाठ और परिशीलन से वैसा ही यानन्द मिलता

है जैसा कि भारतवासियों को मिलता है। जिसमें जितनी

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