पृष्ठ:कालिदास.djvu/१३७

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[ कालिदास की विद्वत्ता।

पर्णन का बैग थड़ा ही सुन्दर और हृदयस्पर्शी है। व्याकरण, ज्योतिर, अलद्वार-शास्त्र, नीतिशास्त्र, घेदान्त, सांख्य, पदार्थ- विज्ञान, इतिहास, पुराण आदि जिस शान, जिस विद्या और जिस विषय में उन्हें जो यात अपने मतलय की देख पड़ी है. उसीको यहाँ से खींचकर उसके उपयोग द्वारा उन्होंने अपने मनोभायों को, मनोहर से मनोहर रूप देकर, व्यक्त किया है।

कालिदास और शेक्सपियर ।


रचना-मैपुण्य और प्रतिभा के विकाश-सम्बन्ध में कालिदास की सरायरी का यदि और कोई कवि हुआ है तो पह शेक्सपियरही है। भिन्न भिन्न देशों में जन्म लेकर भी सारे संसार को अपने कवित्व-कौशल से एकसा मुग्ध करनेयाले यही दो कवि हैं। इनकी रचनायें इस यात फा प्रमाण है कि इन दोनों के हदय-क्षेत्र में एक ही सा करित्य- पीज धपन हुआ था। इनके विचार, इनके भाव, इनकी उक्तियाँ अनेक स्थलों में परस्पर लड़गां हैं। जिस यस्तु को जिस रएि से कालिदास ने देखा है प्रायः उमी हि से शेक्सपियर ने भी देखा है। शेक्सपियर ने प्रग्नं नाटकों में भिन्न भिन्न स्थमापयाले मनुयों के भिन्न भिन्न चित्र अदित किये हैं कालिदास ने भी टीक येसा ही किया है। जिसका

असा स्थभाय है उसका पैसा ही चित्र उन्होंने उतारा।

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