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पृष्ठ:कालिदास.djvu/२३४

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कालिदास]
 


पतिवादियो

परियामाप्रमादरानाम:

मापक माधम के पेड़-पौधे नोहरे भरे हैं ? सूने तो नही ? मांधी और तमान प्रादि से उन्हें हानि तो नहीं पाचो? आयम के इन पेड़ों से यात आराम मिलता है। याप्रम-यासी तो इनकी छाया से पाराम पाते ही हैं। अपनी शीतल पाया से ये पथिकों के श्रम का भी परिवार करते हैं। इनके इसी गुण के कारण महर्षि ने इन्हें बये की तरह पाला है । पाल्हे यना पनाकर उन्होंने इनको समय समय पर सींचा है, तृण को टट्टियाँ लगाकर जाड़े से इनकी रक्षा की है। काँटों से घेरकर इन्हें पशुओं से खा लिये जाने से पचाया है।

रघु के इस प्रश्न से यह ध्वनित होता है कि वायु पर भी राजा का अधिकार था। सर्वतोभाव से धर्मपूर्वक राज्य करने के कारण पञ्चमहाभूतों को भी उसने अपने वरा में कर रक्सा था। पेड़ों को उसाइडालना या उनकी डालों को तोड़ देना तो दूर रहा, रयुवंशी राजाओं के राज्य में त्रियों के पत्र भी वाय येकायदा नहीं उड़ा सकता था--

पातोऽपिनासपदंशुकानि

को खम्बयेदाहरणाय इत्तम् ।

कुशल-सम्बन्धी प्रश्नों में ऋषि के मृग-समुदाय को भी राजा रघु नहीं भूले। प्राचीन काल में अरण्यवासी