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काव्य में रहस्यवाद


(The Poet's Dream) जिसमे कवि के सम्बन्ध में कहा गया है कि --

"वह प्रभात से सायंकाल तक झील मे झलमलाती धूप और इश्कपेचो के फूलों पर बैठी पीली मधु-मक्खियो को देखता रहेगा। इसकी परवा न करेगा कि इन वस्तुओं की सत्ता क्या है। वह इनके (इन रूपों के) द्वारा ऐसे रूप (कल्पना मे) संघटित करेगा जो अमरत्व के अंगज होंगे और जिनकी सत्ता मनुष्य-सत्ता से भी वास्तविक होगी।*

पर एकआध जगह मिलनेवाली 'वाद' की ऐसी सामग्री शेली को रहस्यवादी कवियों मे नही ढकेल सकती। शेली पर जो समीक्षा-पुस्तकें निकली हैं, उनमें शेली रहस्यवादी कवि नहीं निरू- पित हुए हैं।

इधर समय-समय पर हिन्दी पात्र-पत्रिकाओ मे रहस्यवाद या छायावाद की जानकारी कराने के लिए जो लेख निकलने लगे हैं उनमे से किसी-किसी में वेचारे कीट्स (Keats) तक का नाम घसीटा जाता है, जिनसे रहस्यवाद का नाम मात्र का भी लगाव


  • He will watch from dawn to gloom

The lake-reflected san illume,
The yellow bees in the ivy-bloom.
Nor heed nor see what things they be;
But from these create he can,
Forms more real than living man,
Narslings of immortality