पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२१८

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[३] कारते है जो दक्षिण देश में राज्य करता था कल्याण जिस की राजधानी थो और विक्रमादित्य जिस का नाम था। हसारे पाठक लोगों को यह जान कर बड़ा पाश्चर्य होगा कि यह वह विक्रम नहीं है जिस का संवत चल- ता है। और न इस विक्रमादित्य के हुए १८४१ वर्ष हुए। इस विक्रमादित्य का जन्म चालुक्य . नासक क्षत्रोवंश में हुआ था । विल्हण लिखता है कि ब्रह्मा एक बेर अंजुली में जल लेकर अर्घ देना चा- हते थे कि इंद्र अपनी विपति कहने लगा जिस्से नल ने अपनी अंजुम्ती का जल गिरा दिया और उसी से चालुक्य नामक क्षत्रियों का कुल उत्पन्न हुअा। हारीत और मानव्य इस वंस के पूर्व पुरुष थे और पहले से ये लोग अयोध्या के राजाओं को अधिकार में अयोध्याजी में वसते थे श्री रामचन्द्र के समय में भी ये लोग उन को सेवा में उपस्थित थे फिर इन लोगों ने द. क्षिण में अधिकार भारम्भ किया और धीरे २ वहां के राजा हो गए काल पाकर श्री तैलप नामक इस वंस में एक राजा हुआ इस ने सन् ८७३ से ८८७ तक राज्य किया इस ने हिन्दुस्तान के बहुत से राजाओं को मार कर अपना अधिकार बढ़ाया थी युत बूलर साहव लिखते है मुंज को इसी ने मारा था और मालवा पर इसने बड़े धूमधाम से चढ़ाव किया था उस के पीछे सत्याप्रय राजा हुआ जिस ने ग्यारह वर्ष अर्थात् सन् १.०८ तक राज्य किया इसी का नामान्तर सत्य श्री था इस के पोछे जे सिंह राजा हुआ । जिस ने सन् १.४० तक राज्य किया। इस के पीछे आइव मजदेव राजा हुआ इसी का नामान्तर त्रिभुवनमन और तेलोक्यमान था । इस ने पवारों के देश मानव को राजधानी धारानगरी पर चढ़ाई किया। करनाटक कुंतल और डाइल देश में इस का निज्यराज घा पर चोल केरल और द्रविड़ देश इस जीत के अपने राज्य में मिलालिया था विल्हण लिखता है कि अद्भुत कथा और दश रूप काव्य में इस राजा का बहुत सा वर्णन है इस को पुत्र नहीं होता था इस से इसने महादेव जी को घर ही में बड़ी पाराध- ना की और काल पाकर सोसदेव विक्रमादित्य और जय सिंह तीन पुत्र • " वुन्दी राजवंश वर्णन " में देखिये । ___ " बुन्दी राजवंशवर्णन " और दावू रामचरिन सिंह संग्रहीत " टपवंशावली" और " राजस्थान " । में देखिये ।