पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२८५

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[ ६० ] चोटी पर पहुंच कर श्रीमान् पाव घंटे तक सूर्यास्त को शोमा देखते रहे। यद्यपि मारत हो चुका था पर ऊपर प्रकाश इतना था कि नीचे की घाटी दिखाती थी और अंधकार होता जान कर सब लोग नोचे उतरने लगे मार्ग में केवल दो छुटे हुए कैदो मिले और उन लोगों ने कुछ बिनतो करना चाहा पर जेनरल स्टुअर्ट ने उनको टोका और कहा कि जब श्रीमान् स्वस्थ र हैं तब पाओ इनके अति रिता और कोई मार्ग में नहीं मिला । कप्तान ल कउड और कौंट बालासृन आगे बढ़ गए थे और एक चट्टान पर बैठे उन लोगों का सार्ग देखते थे । इस समय अंधेरा हो गया था परन्तु कुछ मार्ग दिखाई देता था और उन लोगों ने केवल कुछ मनुष्यों को पानी ले जाते देखा और कोई नहीं सिन्ता । श्रीमान् सवा सात बजे नीचे पहुंचे और उस समय सम्पूर्ण रीति से अंधेरा होगया था और एक अफसर ने मशाल लाने की आज्ञा दिया इस्से कई मनुष्य भी संग के उनको बुलाने के हेतु दौड़ गए । जब कैदियों के झो- पड़े के आगे बढ़े जेनरल स्टुअर्ट एक प्रोवर्सियर को आज्ञा देने के हेतु पीछे ठहर गए और श्रीमान् आगे बढ़ गए। उस समय श्रीमान् के आगे दो म- शाल और कुछ सिपाही थे और उनके प्राइवेट सेक्रोटरी में बर्न और जमा- दार भी कुछ दूर हो गए थे और कल नल जरवस और मि. हाकिन और मि. एलिन भी पीछे छट एग थे कि इतने में एक मनुष्य उन के बीच से उछला और श्रीमान् को दो छुरी मारी जिसमें से पहिली दहिने कन्धे पर और दूसरी बांए पर लगी। यह नहीं जाना गया कि वह किस मार्ग से वहां आया क्योंकि चारो ओर लोग घेरे थे पर ऐसा अनुमान होता है कि चट्टानों के नीचे छिय रहा था । श्रीमान् चोट लगतेही उछले और पासही पानी के गड़हे में गिर पड़े यद्यपि लोगों ने उनको उठाकर खड़ा किया पर ठहर न सके और तुरत फिर गिर पड़े। उनके अन्त के शब्द यह हैं "They've hit me Burne" "बर्न उन लोगों ने मुझे मारा" और फिर जो दो ऐक शब्द कहे वह समझ न पड़े और उन के शरीर को लोग उठाकर जहाज़ पर लाने लगे परन्तु श्रीमान् तो पूर्वही शरीर त्याग कर चुके थे और बीरों की उत्तम गति को पहुंच चुके थे। उस दुष्ट को अर्जुन सिंह नामक क्षत्रिय ने बड़े साहस से पकड़ा कहते हैं कि उसने पहिले तो उस हत्यारे के मुख पर अपना दुपट्टा डाल दिया और फिर पाप उस पर एक साहिब की सहायता से चढ़ बैठा और फिर तो सब लोगों ने उस्को हाथों हाथ पकड़ लिया और यदि उस