पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३१७

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१०] साज इन का सिर सवार परन्तु हम को सन्देह है कि काल कोई उन के मुह की धूल भी न झारेगा”। ___ अली यह सुन कर अतान्त शोकाकुन्त होकर रोने लगे और कहा कि फातिमा ! तुम्हारे पिता के बियोग से हृदय में जो क्षत है वह अब तक पूरा नहीं हुआ और उन महात्मा के चरण दर्शन बिना जो शोक है वह किसी प्रकार से नहीं जाता इस पर तुम्हारा वियोग भी उपस्थित हुआ यह त्राघात पर प्राघात और विपत्ति पर विपत्ति पड़ी, फातिमा ने कहा अली ! उस विपत्ति में धैर्य किया है और इस में भी करो, इस क्षण में एक सुहर्त भर भी हम से अलग मत रहो हमारे खास वायु अवसान का समय निकट है नितधाम में इस तुम फिर मिलेंगे यह प्रतिज्ञा रही। ___ बीबी फातिमा यह कहती थीं और हसन हुसैन के सुख की ओर देख्नु कर दीर्घ श्वास के साथ अशुवर्षन करती जाती थीं । माता की यह बात सुन कर हसन हुसैन भी रोने लगे। फातिमा ने कहा प्यारे बच्चों ! थोड़ी देर के वास्ते तुम लोग मातामह के समाधि उद्यान में जात्रो और हमारे हेतु प्रार्थना करो वे लोग माता के आज्ञानुसार चले गये, फासिमा तब बि- छौने पर लेट गई और अली से कहा प्रिय । तुम पास बैठो बिदा का समय उपस्थित है अली बैठे और शोक से रोने लगे, तब फातिमा ने आसमा नाम की दासी को बुला कर कहा कि अन्न प्रस्तुत रक्खो हमारे प्यार हसन हुसैन आकार भोजन करेंगे जब वे घर श्रावै तब उन लोगों को अमुक स्थान पर बैठाना और भोजना कराना उनको हमारे निकट मत प्राने देना क्योंकि हमारी अवस्य देख कर वे घबड़ायंगे अासमा ने वैसा ही किया, इधर फा- तिमा ने अली से कहा हमारा सिर तुम अपनी गोद में ले बैठो अब जीवन में केवल कुछ क्षण बाकी है, अली ने कहा फातिमा ! तुम्हारी ऐसी बातें हम नहीं सुन सकते, फतिमाने उत्तर दिया अली ! पथ खुला है हम प्रस्थान कर- होंगे और मन अतान्त शोकाकुल है और तुम से कुछ कहना भी अवश्य है हमारी बात सुनो और हमारे वियोग का शर्वत वाध्य होकर पान करो अली फतिमा का सिर गोद में लेकर बैठे फातिमा ने नेत्र खोल कर अली के मुख की और देखा उस समय अली के नेत्रों से आंस के बंद फातिमा के लुख पर टपकते थे अली को रोते देख कर फातिमा ने कहा नाथ ! यह दोने का समय नहीं है अवकाश बहुत थोड़ा है अन्तिम प्रथा सुन लो अली