विशद को किन बात पर तुम लोग हम को निरपराध वध बारते हो। उस्का
उत्तर विसी ने न दिया तब इमाम यह कह कर उस जट पर से उतरे कि
हस ने संमार में तुम से हुज्जत समाप्त कर ली अब ईश्वर के यहां हमारा तु-
म्हारा झगड़ा है और घोड़े पर सवार हुए। युद्ध प्रारम्भ हुआ और बड़ी बीरता
से इन के साथी सब मारे गए । अन्त में इसास अपने एक छोटे बच्चे को जो
प्यास से व्याकुल हो रहा था उन लोगों के सामने लाए और वाहा कि इस
नौ महीने के बच्चे पर दया करके केवल इस के पीने को तो पानी दो ।
इस को उत्तर में उन दुष्टों में से एक ने ऐसा तीर मारा कि वे वह बच्चा वहीं
सर गया । और फिर चारों ओर से घेर कर हजारों वार लोगों ने किए यहां
तक कि वे घोड़े पर से गिरे । उस समय किसी ने उनका सिर काटा किसी ने
मरे पर भाला मारा किसी ने हाथ की उंगली नोची इस पर भी इन लोगों
को सन्तोष न हुआ और उन लोगों को सरे शरीर पर घोड़े दौड़ाए। हाय !
इतने बड़े सनुष्य की यह गति भूख प्यास से दुखी और दीन मनुष्य को
निरपराध बाल बन्ने समेत स्त्रियों को सामने सारना इन्ही लोगों का काम है
उस पर सो गुरु पुत्र को।
पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३२७
दिखावट
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
[ २० ]
इति
––––––