पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३४०

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सार बैठाए गए थे जिस से ऊपर नीचे बैठने का बखेड़ा बिल्कुल निकल गया था। सब मिला कर ६३ शासनाधिकारी राजाओं को इस चबूतरे पर जगह मिली थी जिन के नाम नीचे लिखे हैं, ___महाराजअजयगढ़, बड़ोदा, बिजावर, भरतपुर, चरखारी, दतिया, ग्वा- लियर, इन्दौर, जयपुर, जस्व , जोधपुर, करौली, किशुनगढ़, पन्ना, मैसूर; रीवां, उछ ; महारानाउदयपुर; महाराव राजा अलवर, बूंदी; महाराज राना कलावर; राना धौलपुर; राजा बिलासपुर, बमरा, बिरोंदा, चबा, छतरपुर, देवास, धार, फरीदकोट, जींद, खरीद, कचबिहार. मन्डो, नामा नाहन, राजपोयला, रतलाम, समथर, सुकेत, टिहरी; रावा जिगनी टोरी; नौवाब, टोंक, पटौदी, मलेरकोटला, लुहारू, जूनागढ़, जौरा, दुजाना, बहा- वलपुर; जागीरदार, अन्तीपुरा; वेगम सूपात; निजाम हैदराबाद; सरदार कलसिया; ठाकुर साहिव भावनगर, सुर्वी, पिपलोदा; जागीरदार पालदेव, सोर खैरपुर; महन्त कोंदका, नन्दगांव; और जास नवानगर । ___वाइसराय के सिंहासन के पीछे परन्तु राजसी चबूतरे की अपेक्षा उस से अधिक पास धनुष्व रण्ड के आकार की दो श्रेणियां चबूतरों को और बनी थीं जो दस भागों में बांट दी गई थीं। इन पर आगे की तरफ थोड़ी सी कु- रसियां और पीछे सीढ़ीनुमा वेन्चें लगी थीं जिन पर नीला कपड़ा सढ़ा था यहां ऐसे राजाओं को जिन्हें शासन का अधिकार नहीं है और दूसरे सर- दारों, रईसों, समाचारपत्रों के सम्पादकों और यूरोपीयन तथा हिन्दुस्तानी अधिकारियों को जो गवरमेन के नेवते में आए थे या जिन्हें तमाशा देखने के लिये टिकट मिले थे बैठने को जगह दी गई थी। ये ३००० के अनुमान होंगे। किल्लात के खां, गोमा के गवरनर जेनरल, बिदेशी राजदूत, बाहरी राज्यों के प्रतिनिधि समाज और अन्यदेश सम्बन्ध कान्सल लोगों की कुर मि- यां भी श्रीयुत वाइसराय के पीछे सरदारों और रईसों की चौकियों के आगे लगी थीं। दरबार की जगह के दक्खिन तरफ १५००० से जियादा सरकारी फौज इघियार बांधे लैस खड़ी थो, और उत्तर तरफ राजा लोगों की सजीलो प- लटने मांत २ की वरदी पहने और चित्र विचित्र शस्त्र धारण किये पग वांधे खड़ी थीं। इन सब को शोसा देखने से काम रखती थी । इस के सिवा- य राजा लोगों के हाथियों के परे जिन पर मुनहली अमारियां कसी थीं