पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३४५

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[ १० ] और वरावर अधिकार में बना रहा । इम कठिन काम में जिस में श्रीमती की अंगरेज़ी और टेसी प्रजा दोनों ने मिलकर भली भांत परिश्रम किया है, श्रीमती के बडे २ ने ही और सहायक राजाओं ने भी शुभचिंतकता के साथ सहायता दी है; जिन की सेना ने लडाई की मिहनत और जीत में श्रीमती की सेना का साथ दिया है। जिन की बुद्धिपूर्वक सत्यशीलता के कारण मेल के लाभ बने रहे और फैलते गए हैं और जिन का यहां पान वर्तमान होना जो कि श्रीमती के राजराजेखरी की पदवी लेने का शुभ दिन है इस बात का प्रमाग है कि वे श्रीमती के अधिकार की उत्तमता में विश्वास रखते हैं और उन के राज में एका बने रहने में अपना भला समझते हैं। श्रीमती सहारानी इस राज को जिसे उन के पुरखों ने प्राप्त किया औ- श्रीमती ने दृढ़ किया एक बड़ा भारी पैटक धन समझती हैं जो रक्षा करने और अपने वंश के लिये सम्पूर्ण छोड़ने के योग्य है और उस पर अधिकार रखने से अपने जपर यह कर्तव्य जानती हैं कि अपने बड़े अधिकार को इस देश की प्रजा को भला के लिये यहां के रईसों के हकों पर पूरा २ ध्यान रखकर काम में लावें । इस लिये श्रीमती का यह राजसी अभिमाय है कि अपनी पदवियों पर एक और ऐसी पदवी वढावें जो आगे सदा की हिन्दुस्तान के सव रईस और प्रजा के लिये इस बात का चिन्ह हो कि श्री- मती के और उन के लाभ एक हैं और महारानी की ओर रानभक्ति और शुभचिंतकाता रखनी उन पर उचित है। __ वे राजमी घरानों की श्रेणियां जिन का अधिकार बदल देने और देश की उन्नति करने के लिये ईखर ने अंगरेज़ो राज को यहां जमाया, प्रायः अच्छे और बडे वादशाहों से खाली न थीं परन्तु उन के उत्तराधिकारियों के राज्यप्रबन्ध से उन के राजा के देशों में मेल न बना रह सका । सदा आपस में झगडा होता र और अंधेर मचा रहा। निवल लोम वली लोगों के शिकार थे और वलवान अपने मद के। इस प्रकार आपस की काट मार और भीतरी झगडों के कारण जड से हिनकर और निर्जीव होकर तैमूरलंग का भारी घराना अन्त को मिट्टी में मिल गया, और उस के नाश होने का कारण यह था कि उस से पच्छिम के देशों की कुछ उन्नति न हो सकी। आजकल ऐसी राजनीति के कारण जिस से सब जात और सव धर्म के लोगों की ममान रक्षा होती है श्रीमती की हर एक प्रजा अपना समय निर्विघ्न