पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३४७

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[१२] काज सस्बन्धी और सेना सम्बन्धी अधिकाग्यिो,-जी कमसिनी में इतने भारी जिम्म के कामों पर सुकर होकर बड़े पश्चिम चाहने वाले नियमों पर तन मन से चन्नते हो और जो निज पौरुष से उन जातियों के बीच राज्य प्रबन्ध के कठिन काम को करते हो जिन की भाषा धर्म और दीते श्राप लोगों से भिन्न हैं-मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि अपने कठिन कामों को दृढ़ परन्तु कोमल रीत पर करने के समय आप को इस बात का भरोसा रहे कि जिस समय आप लोग अपने जाति की बड़ी कीर्ति को थामे हुए हैं और अपने धर्म के दयाशील आज्ञाओं को मानते हैं उसी के साथ आए इस देश के सच जाति और धर्म के लोगों पर उत्तम प्रबन्ध को अनमोल लाभों को फैलाते हैं। ____ उस पच्छिम की सभ्यता के नियमों को बुद्धिमानी के साथ फैलाने के लिये जिस से इस भारी राज का धन बराबर बढ़ता गया हिन्दुस्तान पर के- वल सरकारी अधिकारियों ही का एहसान नहीं है, बरन यदि मैं इस अव- सर पर श्रीमती की उस युरोपियन प्रजा को जो हिन्दुस्तान में रहती हैं पर सरकारी नौकर नहीं हैं, इस बात का विश्वास कराज कि बीमती उन लोगों के केवल उस राजभक्ति ही की गुणग्राहकता नहीं करती जो वे लोग उन के और उन के सिंहासन के साथ रखते हैं किन्तु उन लामों को भी जानती और मानती हैं जो उन लोगों के परिश्रम से हिन्दुस्तान को प्राप्त होते हैं तो मैं अपनी पूज्य स्वामिनी के विचारों को अच्छी तरह न बर्णन करने का दोषी ठहरूगा । इस अभिप्राय से कि श्रीमती को अपने राज के इस उत्तम भाग की प्रजा को सरकार की सेवा या निज की योग्यता के लिये गुणग्राहकता देवाने का विशेष अवसर मिले श्रीमती ने कृपापूर्वक केवल सार श्राव इन्डिया के पर- म प्रतिष्ठित पद वालों और आर्डर आव ब्रिटिश इन्डिया के अधिकारियों को संख्या हो में थोड़ी सी बढ़ती नहीं की है किन्तु इसी हेतु एक बिल्कुल नया पद और नियत किया है. जो " आर्डर आवदि इन्डियन एम्पायर " कहलायेगा । हे हिन्दुस्तान की सेना के अंगरेज़ी और देसी अफ़सर और सिपा- हियो,-आप लोगों ने जो भारी २ काम, बहादुरी के साथ लड़ भिड़ कर सव. अवसरों पर किये और इस प्रकार श्रीमती की सेना की युध कीर्ति को