पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३५७

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पाव चाहिन भाम्बक जी नाना अहीर, नागपुर के राव।

वांदोकिशोर भूपति ज़मींदार सकोंदा, उड़ीसा ।

पादोलब राव, जमींदार धौल, उड़ीसा।

३२ आदमियों को “ राव बहादुर " की पदवी मिली जिन में गोपाल राव हरीदेशमुख, अहमदाबाद की स्मारकाज़बोर्ट के जज, और नारायण भाई हँडबार बरार से शिक्षाविभाग को डाइरेक्टर भी हैं।

२८ मनुष्यों को " राय बहादुर" की पदवी मिली जिन में डावाटर रा- जेन्द्र लाल मिन और बाबू कृष्णोदास पाल को नाम भी गिनने चाहिये।

८ भादमियों को "व साहिब" की पदवी मिली, ४ को “राव" वी, और ५ को "दाय" को। इन में से अजमेर के पांच शादमी "रावसाहिब" और तीन "राय" हुए हैं। निस्संदेह अजमेर को चीफ कमिशनर सिफारश का- रने में बड़े उदार जान पड़ते हैं क्योंकि और भी बहुत सी पदवियां उघरवालों के हिस्से में आई हैं। हमारे पश्चिमोत्तर देश से तो सिवाय दो एक के कोई पूछा ही नहीं गया है यद्यपि योग्य पुरुषों की यहां कभी नहीं है।

राय मुन्शी अमीचंद अजमेर को जुडिशल असिसन्ट वायिशनर को "सर- दार बहादुर की पदवी मिली; रतनसिंह मध्य भरतखंड को पुलीस सुपरिन्। न्डेट को "शरदार" की; देवर परगना के ठाकुर हीरासिंह को "ठाचार रावत” की; और लछमीनरायन सिंह केरावाले को "ठाशुर" की पदवी दी गई। ४ आदमी “नौवाब" हुए। ४० को "खां बहादुर" का खिताब मिना जिन में से एक मौलवी अबदुलतीपा खां का तकात्ते के डिप्टी बलेकर भी है; और दो को "खां" का खिताब मिला।

इन सरदारों दो उन के नाम को सामने लिखे हुए खिताब खानदानी मिले :-

महाराज सर जयमंगल सिंह बहादुर को० सी० एस० प्राइ गिधौर, मुंगर-"महाराज,बहादुर" । 'धर्मजीतसिंह देव, सरदार उपुर, छोटानागपुर महाल-वाजा उदयपुर।

नौवान ख़ाजा अवदुजगनी, ढाका-"नौवाब"

दीवान गयासुद्दीनअलीखा सज्जादानशीन, अजमेर, को उन की जिन्दगी

अर लिये "शेखमणायलका खिताब मिला, और सरदार अतरसिंह बहादुर, भदौर, को मजाजु ल उखमा उसफ़ीजला" का।