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:: कुछ विचार::
से निकल जाती हैं, केवल मुख्य बातें स्मृति पर अंकित रह जाती हैं। तब उस दृश्य के वर्णन करने में अनावश्यक बातें न रहेंगी। आवश्यक और अनावश्यक कथन का एक उदाहरण देकर हम अपना आशय और स्पष्ट करना चाहते हैं—
दो मित्र संध्या समय मिलते हैं। सुविधा के लिए हम उन्हें 'राम' और 'श्याम' कहेंगे।
राम—गुड ईवनिंग श्याम, कहो आनन्द तो है?
श्याम—हलो राम, तुम आज किधर भूल पड़े?
राम—कहो क्या रङ्ग-ढंग है? तुम तो भले ईद के चाँद हो गये।
श्याम—मैं तो ईद का चाँद न था, हाँ, आप गूलर के फूल भले ही हो गये।
राम—चलते हो संगीतालय की तरफ?
श्याम—हाँ चलो।
लेखक यदि ऐसे बच्चों के लिए कहानी नहीं लिख रहा है जिन्हें अभिवादन की मोटी-मोटी बातें बताना ही उसका ध्येय है तो वह केवल इतना ही लिख देगा—
'अभिवादन के पश्चात् दोनों मित्रों ने संगीतालय की राह ली।'