पृष्ठ:कुसुमकुमारी.djvu/१३

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स्वर्गीयकुसुम


दूसरा परिच्छेद
दो लाशे

"न हि भवति यन्न भाव्यं भवति च भाव्यं विनाऽपि यत्नेन ।

करतलगतमपि नश्यति, यस्य हि भवितव्यता नास्ति।"

                               (सुभाषितम् )

सी दिन नीसरे पहर के समय सोनपुर के थाने पर

  • आकर एक चौकीदार ने यह खबर दी कि, 'यहांसे

कोस-सवाकोस दूर, बहाव की और, नदी के कछाड़ में दो आदमी मुर्दे की हालत में पड़े हुए पाए गए हैं; उन में एक तो बीस-बाईस बरस का नौजवान है और दूसरी पंद्रह- सोलह बरस की हसीन औरत दोनों के बदन पर कोई कपड़ा नहीं है।' ___ यह खबर सुनते ही थानेदार घोडेपर सवार होकर कई कानि- ष्टेबिलों के साथ उस सरज़मीन पर पहुंचा. जहां दो लाशें पड़ी हुई थीं और उनकी निगरानी कई चौकीदार कररहे थे। लाश को देखकर थानेदार ने उन चौकीदारों से एक से पूछा- "यह लाश यहांपर कहांसे या क्योंकर आई ?" चौकीदार ने कहा,-" साहब ! यह तो हमलोग नहीं जानते कि यह कहांसे या क्योंकर आई, पर एक औरत ने यहां पर मुर्दे को देख गांव में जाकर हल्ला मचाया, जिसे सुन हमलोग दौड़े और मुर्दे को सूखी ज़मीन पर खींचकर एक आदमी को हुज़र के पास खबर के लिये भेजा। इसके अलावे इस लाश के बारे में हमलोग और कुछ नहीं जानते।” और-और चौकीदारों ने भी उस चौकीदार की बात को सकारा, नक थानेदार ने उनसभों का इज़हार लिखकर रिपोर्ट के साथ जांच के लिये लाश का चालान सिविल सर्जन के तंबू (डेरे) पर कर- दिया और आप अपने सिपाहियों के साथ थाने पर लौट गया। आगे चलकर यह देखना है कि ये दोनों लाशें अब क्या-क्या रंग लाती हैं और प्रेमी पाठकों को कैसा कैसा आनन्द दिखाती हैं। पाठक जरा धीरज के साथ इस को धीरे धीरे पडते चलें