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परिशिष्टः पारदर्शिता कब उपयोगी होती है?

आरोन स्वार्टज (Aaron Swartz), जून, 2009

"पारदर्शिता" एक अनिश्चित शब्द है, यह "सुधार (रिफौर्म)" शब्द जैसा होता है, जो सुनने में तो अच्छा लगता है लेकिन वास्तव में उसका जुड़ाव उस अनियमित राजनीतिक बात से होता है जिसे कोई बढ़ावा देना चाहता है। लेकिन इस विषय पर बात करना मूर्खतापूर्ण है कि क्या "सुधार" शब्द उपयोगी है (यह सुधार पर निर्भर करता है), आमतौर पर पारदर्शिता पर बात करके हम किसी खास निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाएंगे। सार्वजनिक से लेकर पुलिस द्वारा पूछताछ की प्रक्रिया का वीडियो टेप करने की मांग को पारदर्शिता के अंतर्गत कहा जा सकता है - इतने बड़े केटोगरी के बारे में बात करना ज्यादा उपयोगी नहीं होता है।

सामान्यतः, जब कोई व्यक्ति आपको “सुधार” या “पारदर्शिता” शब्दों का अर्थ समझाने की कोशिश करता है तो आपको उस पर संशय होना चाहिए। लेकिन विशेष रूप से, प्रतिक्रियावादी राजनीतिक आंदोलन का, स्वयम् को इस तरह के बढिया शब्दों के आवरण से ढक लेने का, एक लम्बा इतिहास है। उदाहरण के लिए, बीसवी सदी के प्रारंभिक वर्षों में हुए ‘अच्छे शासन' (गुड गवर्नमेंट: गु-गु) आंदोलन को ही देखें। इसे प्रतिष्ठित प्रमुख प्रतिष्ठानों (फाउन्डेशन्स) द्वारा वित्तीय सहायता दी गई थी और इसने यह दावा किया कि यह व्यवस्था से भ्रष्टाचार मिटायेगा और राजनीतिक तंत्र की बुराईयों को दूर करेगा, जो लोकतंत्र के विकास में बाधक बन रहे हैं। ऐसा होने के बजाय यह लोकतंत्र के लिये ही बाधा बन गया। यह उन वामपंथी उम्मीदवारों के लिये, जो अब निवाचित होने के कगार पर थे, उनके निर्वाचन में बाधक बन गये।

गु-गु सुधारकों ने कई सालों तक चुनावों को संचालित किया। उन्होंने शहरी राजनीति को राष्ट्रीय राजनीति से अलग करने का दावा किया लेकिन इनका वास्तविक प्रभाव था मतदाताओं को हतोत्साहित कर मतदान में उनकी उपस्थिति को कम करना। उन्होंने राजनेताओं को वेतन देना बंद कर दिया था। यह भ्रष्टाचार को कम करने की उम्मीद से लिया गया कदम था लेकिन इससे केवल यह सुनिश्चित हो सका कि सिर्फ धनी लोग ही चुने जाने के लिये आगे आयेंगे। उन्होंने चुनावों में पक्ष (पार्टी) की भूमिका को हटा दिया। शायद ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि शहरी चुनावों का संबंध स्थानीय मुद्दों से था, न कि राष्ट्रीय राजनीति से। लेकिन इसका प्रभाव व्यक्ति विशेष के नाम की शक्ति को बढ़ाना था, पर मतदाताओं के लिए यह समझना मश्किल हो गया कि कौन-सा उम्मीदवार उनकी तरफ का है। और उन्होंने मेयरों की जगह, अनिवार्चित शहरी प्रबंधकों को नियुक्त कर दिया जिससे चुनाव में विजयी होने पर भी विजयी उम्मीदवार कोई प्रभावी बदलाव नहीं ला पाते थे।1

स्वाभाविक रूप से, आधुनिक पारदर्शिता आंदोलन प्राचीन ‘अच्छे शासन’ (गु-ग) आंदोलन से काफी भिन्न है। लेकिन इसकी कहानी से यह स्पष्ट होता है कि हमें लाभ-निरपेक्ष (नान-प्रौफिट) प्रतिष्ठानों की सहायता से सतर्क रहना चाहिए। मैं पारदर्शिता सोच की एक और कमी को ओर ध्यान दिलाना चाहता हूँ और यह दिखाना चाहता हूँ कि कैसे यह काम को

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