पृष्ठ:कोड स्वराज.pdf/३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

कोड स्वराज

और फिर उन्हें उनके घर तक छोड़ने गए। दिनेश ने टिप्पणी करते हुए कहा, "उनके पास अत्यंत दृढ़ इच्छा शक्ति थी"।

डिनर पर मौजूद चार लोगों में से तीन लोग मदर टेरेसा को व्यक्तिगत रूप से जानते थे। इस बात से मैं बहुत प्रभावित हुआ। भारत से मुझे बहुत कुछ सीखना है। इसके चलते इस सत्याग्रह अभियान की संभावित सफलता पर मेरी आशाएं नवीकृत हुईं। मैं अमेरिका और यूरोप के कानूनी आक्रमण के तहत आई घनघोर निराशा के अंधकार में आशा की किरण दिखाई दी, और भारत में मुझे निराशा के सुरंग के अंत में प्रकाश दिख रहा था। भारत में शायद लोग इस बात को सुने, यह सोंच कर मैंने भारत बार बार आने का संकल्प लिया। मैं ऐसा करना चाहता था क्योंकि न्यायमूर्ति रानडे ने इसे सही तरीके से कहा है कि 'खुद को शिक्षित करने के लिये, और मेरे शासकों को भी शिक्षित करने के लिए'। 'ज्ञान तक सार्वभौमिक पहुँच' हमारे समय का महान संकल्प है और इस संकल्प को वास्तविकता में साकार करना हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती है। मैं अपने प्रयासों में नई जान फूकने के दृढ़ निश्चय के साथ मैं भारत यात्रा से अमेरिका लौटा।

28