पृष्ठ:क्वासि.pdf/११४

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कासि कोन सॅ देसा लार हे ये ? लाए किनकी स्मृति दीशानी ? मेरे ऑगन भाए हैं क्या ये करने अपनी मनमानी ? अाज, कि ही नयना को सुधि क्या कर देगी हिय पानी पानी ? इसीलिये क्या इस निर्जन में खजन बन स्मृति मजन साए ? मेरे ऑगन सजन आए। ४ दख खजनों को क्यों प्रिय के लाचन की सुधि हिय में जागे ? ये चचल क्या टिक पागे उनके उन नयनों के आगे ? कहाँ सजन के नित गभीर हग । श्रार कहाँ ये चपल अभागे । चलित खजनों ने पीतम के ये लोचन गुण रच न पाए । मेरे ऑगन सजन आए 1 मे जानू हूँ मेरे प्रिय के नयनों में सपने सोते है, चितन भार नमित पलकों में मन तर शिलीन होते है, मेर प्रियतम के हग अपनी स्थिर गभीरता कब खोते हे खजन, मेने तो स तत अपने सजन निरजन पाए ।। मेरे मॉगन खजन पाए 1 2 केन्द्रीय कारागार, बरेली । दिनाङ्क २३ फरवरी १९४४ नवासी