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पृष्ठ:खग्रास.djvu/१५५

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खग्रास


"अगले दो चार बरस में हमे चन्द्रमा में जा पहुँचना है। इस सम्बन्ध में हमे यह जान लेना है कि इस उपग्रह की यात्रा करने वाला मनुष्य पृथ्वी के मानव से कुछ भिन्न होगा।"

वैज्ञानिक डा॰ फौश ने मजाक में कहा—"क्या उसके चार हाथ-पैर होंगे? और वह क्या पैरों के स्थान पर सिर के बल चलेगा।"

डाक्टर साइमन ने गम्भीरता से जबाब दिया—"नहीं जनाब, यह बात नहीं। परन्तु हाँ, अन्तरिक्ष यात्री मानव के भीतरी शरीर के अवयवों को अन्तरिक्ष की यात्रा की परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जायगा।"

"आप क्या समझते है, कि अन्तरिक्ष यात्री मानव में कुछ खास विशेषताएँ होनी चाहिए?"

"बेशक, कम से कम वह प्रखर मेधावी, धैर्यवान, हृष्ट-पुष्ट नवयुवक हो। वह अन्तरिक्ष यात्रा में मानवेतर बुद्धि का परिचय दे। इसके लिए उसे पृथ्वी पर ही तैयार होना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त एक बात और है।"

"वह क्या?"

"उस मनुष्य में पृथ्वी पर लौट आने की दुर्दम्य आकांक्षा भी होनी चाहिए।"

"आप समझते हैं कि मानव अन्तरिक्ष में जीवित रह सकेगा?"

"अब तक भू-भौतिकी वर्ष में जो परीक्षण विश्व के प्रमुख खगोल वैज्ञानिकों ने किए हैं उनसे यह निष्कर्ष निकलता है कि मानव अन्तरिक्ष में जीवित रह सकता है।"

"क्या आपने इस सम्बन्ध में कुछ परीक्षण किए हैं?"

"क्यो नहीं। अभी मैंने एक हवाई अड्डे पर एक कोठरी में अन्तरिक्ष जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करके उसमें २३ वर्षीय एक नवयुवक को रखा था, उस नवयुवक का नाम फेरल डोनाल्ड था। उसकी नाड़ी और श्वासो का मैंने निरन्तर परीक्षण किया। और हर ७५ वे सैकिण्ड में उसके चित्र लिए।