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खग्रास

अतिरिक्त पृथ्वी के आकार के सम्बन्ध में भी नई और सही सूचनाएं प्राप्त हो सकेगी। तथा विभिन्न द्वीपों और महाद्वीपों की भी ठीक-ठीक स्थिति ज्ञात हो जायगी। अभी तक हम यह ठीक-ठीक नहीं जान पाएं कि पृथ्वी के दोनों ध्रुवों पर पृथ्वी कितनी चपटी हो गई है, इसका भी अब पता चल सकेगा। आप यह भली प्रकार जानते हैं कि नकशा तैयार करने की प्रचलित विधियाँ परिपूर्ण नहीं है। इसी से आप देखते हैं कि ब्रिटिश नकशों में जिस नियन्त्रण बिन्दु का उल्लेख है—फ्रांसीसी नकशों में वह बिन्दु उससे ६०० फुट दूर है। अब हम इस स्थिति में होंगे कि पृथ्वी का सर्वथा सही चित्र खींच सके।

"अब आप हमारे उपग्रह की शक्ति और सामर्थ्य पर भी विचार कर लीजिए। यह उपग्रह अपनी निर्धारित कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। हमे तो यह आशा हैं कि यह उपग्रह दस वर्ष तक पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। हमारा एक्सप्लोरर किसी यांत्रिक उपकरण के सहारे नहीं, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के द्वारा अपनी कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाएगा।"

इस पर वानब्रान ने पूछा—"गुरुत्वाकर्षण की आप जरा और विस्तृत विवेचना कीजिए।"

"वही मैं कह रहा हूँ—यदि कोई प्रक्षेपणास्त्र सौ मील की ऊँचाई से पृथ्वी पर गिरे तो पृथ्वी पर गिरते-गिरते उसकी गति एक मील प्रति-सैकिण्ड तक पहुँच जायगी। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि एक मील प्रति सैकिण्ड की रफ्तार से उड़ने वाला राकेट सौ मील की ऊँचाई तक पहुँच सकता है।"

वान-ब्रान झट बोल उठे—"हाँ, हाँ, ऐसी उड़ान बी-२ राकेट कई बार कर चुका है।"

"तो यह राकेट ५ मील प्रति सैकिण्ड (१८,००० मील की घण्टा) की गति से चलता है तो वह अन्तरिक्ष में सीधा चार हजार मील से ऊपर

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