पृष्ठ:खग्रास.djvu/३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३
खग्रास

"क्या वे अमेरिकन है?"

"खामोश, जबान मे कोई शब्द निकालने से प्रथम अच्छी तरह सोचविचार लिया करो। हमे इस बात से क्या सरोकार है कि वे किस देश के हैं। हमारे लिए यही जानना यथेष्ट है कि वे हमारे शत्रु ओ द्वारा तैनात है।"

"तुम ठीक कहती हो डार्लिंग, हकीकत मे मै बड़ा असावधान हूँ। लेकिन अब मुझे तुम आध घन्टे का अवकाश दो ताकि मैं मास्को अपनी रिपोर्ट भेज सकू।"

लिजा ने एक नज़र अपनी कलाई की घड़ी पर डाली और उठते हुए कहा, "बहुत ठीक, तब तक डिनर का वक्त भी हो जाएगा। हम सार्वजनिक भोजनालय ही मे चल कर भोजन करेगे।"

ज़ोरोवस्की भी उठ खड़ा हुआ। उसने कहा, "ठीक है, लेकिन माई लव, एक चुम्बन तो मै अवश्य लूगा।" उसने खीचकर लिजा को अपने वक्ष से सटा लिया और उसके लाल-लाल अधरो पर अपने जलते हुए ओठ रख दिए। लिजा ने अपनी भुजवल्लरी उसके कण्ठ मे डालकर प्रतिचुम्बन लिया और हसते हुए कहा, 'मैं उधार खाता नहीं रखती, बस लेन-देन बराबर।"

लेकिन ज़ोरोवस्की ने बिजली की भाति लपककर उसे ऊपर उठा लिया और तडाक से एक और चुम्बन लेकर कहा, "मुझे तो उधार खाते की पुरानी आदत है, डार्लिंग। लेनदेन बराबर करना ठीक नही है।"

लिजा हस दी। एक शरारत भरी नज़र उसने तरुण पर डाली और द्वार तक उसे छोड़ गई।

अपने गुप्त कमरे मे जाकर जब ज़ोरोवस्की भीतर से ताले मे चाभी घुमाने लगा, तो उसने किवाड़ की दगर से मुस्करा कर कहा, "सावधान रहना प्रिये।"

"निश्चिन्त रहो, तुम्हारे द्वार पर मेरी एक हजार आँखें है और यह यन्त्र मेरे कानो पर लगा है जिससे मुझे यह पता लगता रहेगा कि विश्व में