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श्रीः
खूनी औरत
का
सात खून।
जासूसी उपन्यास।
लेखक—
श्रीयुत किशोरीलालगोस्वामी।
यन्मनोरथशतैरगोधरं,
न स्पृशन्ति च गिरः कचेरपि।
स्वप्नवृत्तिपि यत्र दुर्लभा,
लीलयैव विदधाति तहिधिः॥"
(सुभाषितम्)
श्रीयुत कबीलेलालगोस्वामी के आज्ञानुसार
"श्रीसुदर्शनप्रेस"-वृन्दावन से
छपकर प्रकाशित।
(सर्वाधिकार रक्षित)
संवत् १९७५ | प्रथमबार १००० | सन् १९१९ |