उनसे यहां आने का संबंध पूछा गया, तब उन्होंगे यों कहा कि,—"आज एक पहर दिन चढ़ते चढ़ते एक नौजवान और निहायत हसीन लड़की रसूलपुर के थाने पर पहुंची और उसने मुझसे यों कहा कि, "मेरे घर में रात को पांच खून होगए हैं, उनकी रिपोर्ट आप लिख लीजिए।" यों कहकर उस औरत ने एक अजीबोगरीब दास्तान कह सुनाई! बस, उस औरत की वह अनोखी बात सुनकर मैंने उसे तो यही एक कोठरी में बंद करके उसके पहरे का काफी इन्तजाम कर दिया और हींगन चौकीदार के साथ थानेके लिये फौरन कूच किया। वह नौजवान लड़की या भौरत अपना नाम दुलारी बताती है।" अस्व, अबदुल्लाखां की जबानी यह हाल सुनकर हमलोगों ने गौर के साथ फिर उस घर को, जिसमें कि बार लाशें पड़ी हुई थीं, अच्छी तरह देखा, तो क्या देखा कि उस घर से लेकर बाहर भांगन तक छोटे छोटे पंज्जे (पैर) के निशाम पड़े हुए हैं! उन निशानों को देखकर अबदुल्ला ने यों कहा कि, 'गालियन यह उसी लड़की दुलारी के पैर के निशान होंगे, क्योंकि उसके पैर ऐसे ही छोटे और नाजुक हैं।' इस बात को साहब बहादुर में मान लिया और हमलोगों से यही गुमान किया कि, "उस पहातुर लड़की ने एक कोठरी में एफ शक्स की गला घोंट कर मार डाला। फिर वह दूसरी कोठरी में चार-चार आदमियों को काटकर खुद रिपोर्ट करने रसूलपुर के थाने पर पहुंची है!!!" मगर, खैर। फिर तो यह बात ठीक समझली गई कि वह छोटे पंज्जे के निशान दुलारी के पैर के ही हैं; क्योंकि फलगू ने भी अपने बयान में ऐसा ही कहा है। बस, इसके बाद साहब बहादुर ने अबदुल्ला को पह हुक्म देकर फौरन रुखसत किया कि, "तुम उस औरत को कानपुर की कोतवाली में हाजिर करों।" और उनके जाने पर मुझसे यों कहा कि,—"फलगू-वगैरह इस तीनों को अभी कानपुर की कोतवाली में ले जाफर रखना चाहिए।
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