पृष्ठ:गर्भ-रण्डा-रहस्य.djvu/४

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>>999999999999999999999999999993 ओ३न समर्पण eeeeeH€666666 जिमको भेद-विधान, न हट से हटने देगा । घोर अपव्यय, मान, न जिसका घटने देगा ।। बाल विवाह-प्रचार, न जिसको लटने देगा। विधवा-दल महार, न जिसको कटने देगा । जिसने मुझसी चालाक को, मुपद 'गर्भ-रण्डा' दिया। उस हिन्दपन'की नाक को, सटहम्य अर्पण किया ॥ महामन्दभागिनी, 'कमला', ReefEEEEEEEEEEéseefeeeeeeeee €€€€€ ec€€€€€€€€€€€€€€€EEEE