पृष्ठ:गल्प समुच्चय.djvu/१५

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अनाथ-बालिका


हैं। आपके परिवार में सिर्फ वृद्धा माता हैं। एक भानजे का भरण-पोपण भी आप ही करते हैं। भानजा सतीश कालेज में पढ़ता है।

डाक्टर राजा-बाबू ने अनेक मरीजों से फ़ारिग होकर आज का दैनिक उठाया ही था कि उनके सामने एक ११-१२ वर्ष की निरीह बालिका, आँखों में आँसू भरे हुए, आ खड़ी हुई। डाक्टर साहब समझ गये कि इस बालिका पर कोई भारी विपत्ति आई है। उन्होंने दैनिक को मेज़ पर रखकर बड़े स्नेह के साथ उससे पूछा--

"बेटी, क्यों रोती हो ?"

"डाक्टर साहब कहाँ हैं, मैं उनके पास आई हूँ। मेरी माँ का बुरा हाल है।"

"मैं ही डाक्टर हूँ। तुम्हारी माँ को क्या शिकायत है?"

"डाक्टर साहब, मेरी माँ को बड़े ज़ोर का बुखार चढ़ा है। तीन दिन से वह बेहोश थी। आज कुछ होश हुआ है, तो आपको बुलाने के लिये भेजा है। हमारा घर बहुत दूर नहीं है। आप चलकर देख लीजिये।"

"मैं अभी चलता हूँ। तुम घबराओ मत। ईश्वर तुम्हारी माँ को निरोग कर देगा।"

डाक्टर साहब अपना हैंड-वेग उठाकर लड़की के साथ पैदल ही चल दिये। लड़की के मना करने पर भी उन्होंने नहीं माना और कहा--तुम्हारा मक़ान बहुत क़रीब है। मैं भी प्रातःकाल