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पृष्ठ:गल्प समुच्चय.djvu/१६०

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गल्प-समुच्चय


की होती। यह सुन्दर घोड़ा आगे चलकर इस राज्य-परिवार के निमित्त रत्न-जटित मृग प्रतीत हुआ।

(५)

संसार एक रण-क्षेत्र है। इस मैदान में उसी सेनापति को विजय लाभ होता है, जो अवसर को पहचानता है। वह अवसर देखकर जितने उत्साह से आगे बढ़ता है, उतने ही उत्साह से आपत्ति के समय पर पीछे हट जाता है। वह वीर पुरुप राष्ट्र का निर्माता होता है, और इतिहास उसके नाम पर यश के फूलों की वर्षा करता है।

पर इस मैदान में कभी-कभी ऐसे सिपाही भी आ जाते हैं, जो अवसर पर कदम बढ़ाना जानते हैं ; लेकिन संकट में पीछे हटना नहीं जानते। यह रणधीर पुरुष विजय को नीति भेंट कर देता है। वह अपनी सेना का नाम मिटा देगा; किन्तु जहाँ पर एक बार पहुँच गया है, वहाँ से कदम पीछे न हटायेगा। उनमें कोई बिरला ही संसार-क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है; किन्तु प्रायः उसकी हार विजय से भी गौरवात्मक होती है। अगर वह अनुभवशील सेनापति राष्ट्रों की नींव डालता है, तो यह आप पर जान देनेवाला, यह मुँह न मोड़नेवाला सिपाही राष्ट्र के भावों को उच्च करता है, और उसके हृदय पर नैतिक गौरव को अंकित कर देता है। उसे इस कार्य-क्षेत्र में चाहे सफलता न हो; किन्तु जब किसी वाक्य या सभा में उसका नाम ज़बान पर आ जाता है, तो श्रोता-गण एक