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गल्प-समुच्चय


मामाजी और वृद्धा के चरण छूकर सरला से आँखों-ही-आँखों उसने बिदा ली।

( ३ )

सतीश सेन्ट्रल हिन्दू-कालेज में पढ़ता है। इस वर्ष वह एम० ए० की अन्तिम परीक्षा देगा। सतीश बड़ा धार्मिक है। वैसे तोहर लड़के को, जो हिन्दू-कालेज के बोर्डिङ्ग हाउस मे रहता है, स्नान-ध्याय और धार्मिक कृत्य सम्पादन करने पड़ते हैं; किन्तु सतीश ने अपनी बाल्यावस्था के कुल वर्ष अपने मामा डाक्टर राजा-बाबू के साथ काटे हैं। इसलिए, नित्य प्रातःकाल उठना, सन्ध्योपासन करना और परोपकार के लिए दत्त-चित्त रहना उसका स्वभाव-सा हो गया है। सतीश छः वर्ष से इसी कालेज में पढ़ रहा है और हर वर्ष परीक्षा में बड़ी नामवरी के साथ पास हो रहा है। सतीश अपने दैवी गुणों के लिए सब लड़कों में प्रसिद्ध है। हर एक लड़का, किसी-न-किसी रूप में, उसकी कृपा का पात्र बना है। अनेक कमज़ोर (शरीर में नहीं पढ़ाई में) लड़कों ने उससे पढ़ा है; अनेक गरीब विद्यार्थियों की उसने आर्थिक सहायता की है। किसी लड़के के रोग-ग्रस्त होने पर सहोदरवत् उसने उसकी शुश्रूषा भी की है। इसलिए, कालेज का हर लड़का उसको बड़ी पूज्य-दृष्टि से देखता है। सतीश के पास वाले कमरे में रामसुन्दर-नामक एक लड़का रहता है। वह दो वर्ष से इस कालेज में पढ़ता है। पर, है सतीश का सहाध्यायी ही। यह लड़का घर का मालदार होते हुए भी विद्या का