पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/१०

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गदर के पत्र पत्र नं. १ सेवा में-जॉर्ज कानिकवारेंस सतलज की पश्चिमी रियासतों के कमिश्नर ऊपरी कैंप, देहली १५ जून, १८५७ त्रिय वारेस! मैं यहाँ से अभी तक देहली की तरफ देख रहा हूँ। और, हर घड़ी मुझे यह उम्मीद होती है कि हमारी तो किले की दीवारों की तोपों को शांत कर सकती और मुझे इस योग्य बना सकती हैं कि सफलता की उपयुक्त आशा के साथ निकट पहुँचकर इस स्थान पर अधिकार कर ले, परंतु इन वाशियों की तोपों की ज्यादती मेरे साहस को भंग कर रही है। बस, अब (जैसी कि स्थिति है) मेरे सामने और मुझे किसी वस्तु का भय नहाँ । सिवा इसके और कोई उपाय नहीं कि मैं एक अचानक और प्रवल आक्रमण कर दूँ,