सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:गीता-हृदय.djvu/११६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

-- , pada २. मार्क्सवाद और धर्म १०५ We must 1 to be expelled. We must not only admit; do everything possible to attract workers who retain their belief in God into the Social Democratic Party. We are resolutely opposed to offending But we attract them to oui Party in order to allow them to fight against it We permit freedom of opinion inside the Party, but within certain limits defined by the freedom of foiming groups. We are not obliged to go hand in hand with those who advocate views rejected by the majority of the Party." इसका आशय यह है, “कल्पना करे कि एक इलाकेके किसी कारखानेके मजदूरोके दो दल हो गये है । एक दल है प्रगतिशील एव वर्गचेतनायुक्त सोशल डेमोक्रेटिक पार्टीवालोका, जो बेशक नास्तिक है। दूसरा दल है पिछडे हुओका, जिनका सम्बन्ध देहाती इलाको और किसानोके साथ अभी कायम है, जो ईश्वरमे विश्वास रखते है और गिजधिरोमे जाते है और जिनपर वहाँके पादरीका खूब असर है । हम यह भी मान ले कि उस पादरीने वहाँ एक "क्रिस्तान-मजदूर-सघ' भी सगठित कर रखा है। हम यह भी कबूल कर ले कि उस इलाकेके मजदूरोकी आर्थिक लडाईके परिणाम स्वरूप वहाँ हडताल हो गई है। उस दशामे वहाँ मार्क्सवादीका यह कर्त्तव्य हो जाता है कि वह उस हडतालकी सफलताको ही मुख्य बात माने और इस बातकी कोशिश करे कि उस सघर्पसे सम्बन्ध रखनेवाले मजदूरोमे क्रिस्तान और नास्तिक-- स तरहके-दो दल बनने न पाये- हडतालके समय इस तरहकी दलबन्दी होने न पाये। ऐसी परिस्थितिमे तो नास्तिकताका प्रचार केवल व्यर्थ ही न होगा; किन्तु हानिकारक