पृष्ठ:गीता-हृदय.djvu/६१०

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गीता-हृदय ६२० 1 'प्रकृतिगर्भ' लिखा है। इसका अभिप्राय बता चुके है और कह चुक है कि इसका भी अर्थ सन्यास ही है। हमने पहले जो उल्लेख अमेरिकाके रक्त आदिवासियोका किया है उससे स्पष्ट है कि प्राकृतिक दशा (back to the nature) मे माया-ममताका स्वत त्याग रहता है, और सन्यासमें यही चाहिये इति श्रीमद्भगवद्गीता सूपनिषत्सु ब्रह्मविद्याया योगशास्त्रे श्री- कृष्णार्जुन सम्वादे सन्यास योगो नाम पञ्चमोऽध्याय ॥ ५॥ श्रीमद्भगवद्गीताके रूपमें उपनिषद्पी ब्रह्मविद्या प्रतिपाद योग शास्त्र में जो श्रीकृष्ण और अर्जुन का सम्वाद है उसका सन्यासर नामक/पाँचवाँ अध्याय यही है ।