पृष्ठ:गीता-हृदय.djvu/७५४

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७७४ गीता-हृदय नीचे क्रमग तीन नीढियाँ ई-अभ्यास, भगवदर्पण कर्म और कर्मफलोको ही भगवदर्पण करना । यही कारण है कि इन ग्लोकोमे क्रमसूचक पद न रहनेपर भी हमने वैसा ही अर्थ किया है। ये तीनो क्रमश नीचेकी सीढियां कैसे है यह जान लेना भी जरूरी है। यह तो मोटी वात है कि उघरसे हटनेपर वारवार मनको खीचके लगाना ही होगा। दूसरा रास्ता हई नहीं । इसे सभी लोग यो ही समझ भी मकते है । मगर जब मन इतना गन्दा हो कि भगवानकी ओर बिल्कुल जाये ही नहीं, तो अभ्यास क्या करेगे खाक ? वज्रकी धरतीको मामूली कुदालमे खोदके उपर ही पानी बहानेका यत्न जिस तरह वेकार होता है वैमा ही यह भी है । कुदालमे तो वन कटे-टूटेगा ही नहीं। उलटे कुदाल ही टूटेगी और परिश्रम वेकार होगा। फिर भी वैसी दशा में क्रियायोमे तो मन जायेगा ही।