पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२००

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श्रीमान्का स्वागत आना देखना पड़ता है और उक्त श्रीमानको अपने चलनेमें विलम्ब देखना पड़ा। कवि कहता है- “जो कुछ खुदा दिखाये, सो लाचार देखना।” अभी भारतवासियोंको बहुत कुछ देखना है और लार्ड कर्जनको भी बहुत कुछ। श्रीमानके नये शासनकालके यह दो वर्ष निस्सन्देह देखने- की वस्तु होंगे। अभीसे भारवासियोंकी दृष्टियाँ सिमटकर उस ओर जा पड़ी हैं। यह जबरदस्त द्रष्टा लोग अब बहुत कालसे केवल निर्लिप्त निराकार तटस्थ द्रष्टाकी अवस्थामें अतृप्त लोचनसे देख रहे हैं और न जाने कब तक देग्वे जावंगे। अथक ऐसे हैं कि कितने ही तमाशे देख गये, पर दृष्टि नहीं हटाते हैं। उन्होंने पृथिवीराज, जयचन्दकी तबाही देवी, मुसलमानोंकी वादशाही देखी। अकबर, बीरबल, खानखाना और तानसेन देख, शाहजहानी तग्वतताऊस और शाही जुलूस देखे । फिर वही तखत नादिरको उठाकर ले जाते देखा। शिवाजी और औरङ्ग- जेब देखे, क्लाइव हेस्टिंग्स्से वीर अंग्रेज देखे । देखते-देखते बड़े शौकसे लार्ड कर्जनका हाथियोंका जुलूम और दिल्ली-दरवार देखा। अब गोरे पहलवान मिस्टर सेण्डोका छातीपर कितने ही मन बोझ उठाना देखनेको टूटे पड़ते हैं। कोई दिखाने वाला चाहिये भारतवासी देखनेको सदा प्रस्तुत हैं। इस गुणमें वह मोंछ मरोड़कर कह सकते हैं कि संसारमें कोई उनका सानी नहीं। लार्ड कर्जन भी अपनी शासित प्रजाका यह गुण जान गये थे, इसीसे श्रीमानने लीलामय रूप धारण करके कितनीही लीलाएँ दिखाईं। इसीसे लोग बहुत कुछ सोच विचार कर रहे हैं कि इन दो वर्षोंम भारतप्रभु लार्ड कर्जन और क्या क्या करेंगे। पिछले पांच सालसे अधिक समयमं श्रीमानने जो कुछ किया, उसमभारतवासी इतना समझने लगे हैं कि श्रीमान्की रुचि केसी है और कितनी बातोंको पसन्द करते हैं । यदि [ १८३ ]