पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२१०

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पीछे मत फेंकिये आशंकाएँ उसे दम नहीं लेने देती थीं। हुलकरसे एक नई लड़ाई होनेको थो, सेन्धियासे लड़ाई चलती थीं। खजानेमें बरकतही बरकत थीं। जमीनका कर वसूल होनेमें बहुत देर थी। युद्धस्थलमें लडनेवाली सेनाओंको पांच पांच महीनेसे तनखाह नहीं मिली थी। विलायतके धनियोंमें कम्पनीका कुछ विश्वास न था। सत्तर सालका बूढ़ा गवर्नर जनरल यह सब बातं देखकर घबराया हुआ था। उससे केवल यही बन पड़ा कि दूसरी बार पदारूढ़ होनेके तीनही मास पीछे गाजीपुरमें जाकर प्राण देदिया। कई दिन तक इस बातकी खबर भी लोगोंने नहीं जानी। आज विलायतसे भारत तक दिनमें कई बार तार दौड़ जाता है। कई एक घन्टोंमें शिमलेसे कलकत्तं तक स्पेशल ट्रेन पार हो जाती है। उस समय कलकत्तसे गाजीपुर तक जानेमें बड़ेलाटको कितनेही दिन लगे थे। गाजीपुरमें उनके लिये कलकत्तसे जल्द किसी प्रकारकी सहायता पहुँचनेका कुछ उपाय न था। किन्तु अब कुछ औरही समय है। माई लार्ड ! लार्ड कान- वालिसके दूसरी बार गवर्नर जनरल होकर भारतमें आने और आपके दूसरी बार आनेमें बड़ा अन्तर है। प्रताप आपके साथ साथ है। अंग्रेजी राज्यके भाग्यका सूय्यं मध्यान्हमें है। उस समयके बड़ेलाटको जितने दिन कलकत्तमें गाजीपुर जानेमें लगे होंगे, आप उनसे कम दिनोंमें विलायतसे भारतमें पहुँच गये। लार्ड कार्नवालिसको आतेही दो एक देशी रईसोंके साथ लड़ाई करनेकी चिन्ता थी, आपके स्वागतके लिये कोड़ियों राजा, रईस बम्बई दौड़े गये और जहाजसे उतरतेही उन्होंने आपका स्वागत करके अपने भाग्यको धन्य समझा। कितनेही बधाई देने कलकत्ते पहुंचे और कितने और चले आरहे हैं। प्रजाको चाहे कैसीही दशा हो, पर [ १९३ ]