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पं० प्रतापनारायण मिश्र हम अपने अगले पुरुखोंके साथ इससे अधिक अपना विवरण नहीं लिग्न सकते कि विश्वामित्र बाबाके वंशमें कात्यायन बाबाक गोत्रमें परमनाथ बाबाके अमामी ( वंशज ) हैं। उन्नावके जिलेमें पूर्वकी ओर पाँच कोस बजेगांव नामका स्थान है, वहाँक हम मिश्र हैं। यद्यपि अब बजेगांव एक माधारणसा गांव है, पर अनुमान होता है, किसी समय वह बड़ा दर्शनीय स्थान, विद्वानों ( मित्रों ) का गांव होगा। उसके निकट बृहनस्थल ( बेथर) और उससे कुछ ही दरपर विग्रहपुर (बिगहपुर) गांव है। इन विजयग्राम, वृहतस्थल, और विग्रहपुर नामक गांवोंसे प्रगट होता है, कि इस प्रान्तमें किसी वीर पुरुपने अपना पराक्रम दिखाया होगा। पर यह बात अभी तो अनुमान मात्र हैं। कोई भाई पुष्ट प्रमाण महित लिखे तो बड़ा उपकार होगा। हमारी कुलदेवी गार्जी', कुलदेवता 'बूढ़े बाबू कुल-पुरोहित ‘सत्यशुक्ल', यजुर्वेद, धनुर्वेद उपवेद, शिव इष्ट देवता हैं । हमारे पिता श्रीसंकटाप्रसाद मिश्र, पितामह श्रीगमदयाल मिश्र, प्रपितामह सेवकनाथ मिश्र, वृद्धपितामह श्रीमबसुग्व मिश्र हैं। इनके आगे कौन महात्मा थे, यह नहीं मालूम । हम समझते हैं कि बहुत ही कम लोग होंगे जो वृद्धपितामहके पिताका नाम जानते होंगे। फिर हमारा ही क्या दोप है, जो न लिग्बसके। हमारे पितामह रामदयाल बाबाके एक भाई शिवप्रसाद बाबा थे। उनके पुत्र जयगोपाल काका और रामसहाय काका हमारे पितृचरणसे बड़े थे और हितचिन्तना भी बहुत करते थे । जयगोपाल काकाके पुत्र रामकृष्ण दादा भी पिताजीके हितैषी और उदार पुरुप थे। उनके पुत्र शिवरतन ( यह भी व्यवहार कुशल और पिता के भक्त थे ) दुसरे रामभरोसे हैं, जिनसे भाईचारा मात्र है। रामसहाय काकाके केवल एक कन्या ( अनन्तदेवी ) थी, वह विधवा स्वर्ग-वासिनी हुई। अतः उनका वंश उन्हींसे समाप्त हुआ । जयगोपाल काकाके दृमरी स्त्रीसे गुरदयाल, शिवदयाल, गौरीशंकर थे। उनमेंसे शिवदयाल दादाका वंश [ ]