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गैरत की कटार
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हैदर कई घण्टे तक बेसुध पड़ा रहा। वह चौंका तो रात बहुत कम बाकी रह गयी थी। उसने उठना चाहा लेकिन उसके हाथ-पैर रेशम की डोरियों से मजबूत बँधे थे। उसने भौंचक होकर इधर-उधर देखा। नईमा उसके सामने वही तेज कटार लिये खड़ी थी। उसके चेहरे पर एक क़ातिलों जैसी मुस्कराहट की लाली थी। फर्जी माशूक के खूनीपन और खंजरबाज़ी के तराने बह बहुत बार गा चुका था मगर इस वक्त उसे इस नज़्ज़ारे से शायराना लुत्फ़ उठाने का जीवट न था। जान का खतरा, नशे के लिए तुर्शी से भी ज्यादा कातिल है। घबराकर बोला- नईमा !

नईमा ने तेज़ लहजे में कहा- हाँ, मैं हूँ नईमा।

हैदर गुस्से से बोला-क्या फिर दग़ा का वार किया?

नईमा ने जवाब दिया-जब वह मर्द जिसे खुदा ने बहादुरी और कूवत और हौसला दिया है, दगा का वार करता है तो उसे मुझसे यह सवाल करने का कोई हक नहीं। दगा और फ़रेब औरतों के हथियार हैं क्योंकि औरत कमजोर होती है।लेकिन तुमको मालूम हो गया होगा कि औरत के नाजुक हाथों में ये हथियार कैसी काट करते हैं। यह देखो यह वही आबदार शमशीर है, जिसे तुम गैरत की कटार कहते थे। अब वह गैरत की कटार मेरे जिगर में नहीं, तुम्हारे जिगर में चुभेगी। हैदर, इन्सान थोड़ा खोकर बहुत कुछ सीखता है। तुमने इज़्ज़त और आबरू सब कुछ खोकर भी कुछ न सीखा। तुम मर्द थे। नासिर से तुम्हारी होड़ थी। तुम्हें उसके मुकाबिले में अपनी तलवार के जौहर दिखाना था लेकिन तुमने निराला ढंग अख्तियार किया और एक बेकस औरत पर दगा का वार करना चाहा और अब तुम उसी औरत के सामने बिना हाथ-पैर के पड़े हुए हो। तुम्हारी जान विलकुल मेरी मुट्ठी में हैं। मैं एक लमहे में उसे मसल सकती हूँ और अगर मैं ऐसा करूं तो तुम्हें मेरा शुक्रगुजार होना चाहिए क्योंकि एक मर्द के लिए गैरत की मौत बेगरती की ज़िन्दगी से अच्छी है। लेकिन मैं तुम्हारे ऊपर रहम करूँगी : मैं तुम्हारे साथ फैयाजी का बर्ताव करूँगी क्योंकि तुम गैरत की मौत पाने के हकदार नहीं हो। जो गैरत चन्द मीठी बातों और एक प्याला शराब के हाथों बिक जाय वह असली गैरत नहीं है। हैदर, तुम कितने बेवकूफ़ हो, क्या तुम इतना भी नहीं समझते कि जिस औरत ने अपनी अस्मत जैसी अनमोल चीज़ देकर यह ऐश और तकल्लुफ़ पाया, वह जिन्दा रहकर इन नेमतों का सुख लूटना चाहती है। जब तुम सब कुछ खोकर -